नई गीत

स्त्रियों के लिए तो बहुत कुछ लिखती हूं आज कुछ पंक्तियां पुरुषों के लिए …..

#पुरुष

सात फेरों के गठबंधन में चार फेरे उसके भी हिस्से हैं,

कभी सुख और कभी दुख भरे उसके भी किस्से हैं।

मैने देखा है पुरुष को भी ,जमाने से दो चार होते हुए।

मां बहन पत्नी बिना , गुमसुम चुप चुप कर रोते हुए ।

मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते, मन्नत का धागा बांधते पुरुष।

घर की पूजा में , रंगोली बनाते और हाथ बंटाते पुरुष।

सच है देखा पत्नी से सच्चा प्रेम दिखाने वाले भी पुरुष ।

औरतों की छोटी बड़ी गलतियां भूल जाने वाले पुरुष ।

ऊपर से कठोर दिखते कुछ अंदर चोट खाने वाले पुरूष।

कहते हैं लाज स्त्री का गहना , देखे हैं शर्माने वाले पुरुष

जो गुस्साता डांटता रौब दिखाता सबको मर्द बन के।

देखा सर झुका अपनी गलती मान जाने वाले पुरूष।

खर्राटे मार कर सोता था ,जो भाई सुबह देर तक ।

मैने देखा अपने बच्चों के लिए रात तक जागते पुरूष

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