कभी ईदें महकती हैं कभी होली महकती है, मिलें हिंदू मुसलमां जब तो यह बोली महकती है, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

 

अनुराग लक्ष्य, 11 अप्रैल,
मुम्बई संवादाता ।
हमारी ईदें तुम्हारी होली रहेंगी ज़िंदा जहां में लेकिन, दिलों में अपने मुहब्बतों की जो है वो गंगा बहाए रखना । हो सच्चे आशिक़ अगर वतन के तो अपने परचम पे जां लुटा दो, रहो कहीं भी जहां में लेकिन तुम अपना परचम उठाए रखना । यह जज़्बा, यह एकता भाईचारगी की मिसाल एक बार फिर मुंबई की सरजमीन पर देखने को मिली। ईद मुबारक के अवसर पर तिरंगे के साथ हर समुदाय के झंडे फिज़ा में लहराते दिखाई दिया जो राष्ट्र की एकता भाईचारगी को दर्शाता है, साथ ही यह संदेश भी दिया कि हम हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई होते हुए सबसे पहले भारतीय हैं।
यही असली भारत की तस्वीर अगर पूरे देश की हो जाए तो शायद नफरत के सौदागरों के लिए एक बहुत बड़ा सबक होगा।
ईद मुबारक के अवसर पर जहां बीती रात बाजारों में रौनक देखने लायक थी वहीं जगह जगह ईद मिलन कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। जिसका लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया और अपनी तहज़ीब और संस्कृति को ज़िंदा रखने की बात कही।
मुंबई के छत्र पति शिवाजी, से लेकर डोंबिवली, बोरोवली, कांदिवली , अंधेरी, गोरेगांव, मलाड, संताकुरूज, बांद्रा, माहिम, धारावी, सायन, कुर्ला, चेंबूर, गोवंडी , मानखुर्द , चीता कैंप, वाशी, दादर, भाईखाला, वडाला, बॉम्बे सेंट्रल की दुकानें तीसरे पहर तक खरीदारी लिए खुली रहीं, कहीं से किसी अपिर्य घटना के समाचार नहीं हैं। ईद का तेवहार मुस्लिम समुदाय के साथ हिंदू भाइयों ने गले लगाकर उन्हें ईद की दिली मुबारकबाद पेश करते हुए अपने प्यार और मुहब्बत को दर्शाया। इसी लिए कहना चाहता हूं कि,
,, कभी ईदें महकती हैं कभी होली महकती है
मिलें हिंदू मुसलमां जब तो यह बोली महकती है
कोई दुश्मन भी घर आए तो यह महसूस होता है
कि स्वागत में मेरे आंगन की रंगोली महकती है,,,

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