प्रेम पत्थर को भी भगवान बना देता है : देवी हेमलता शास्त्री

लखनऊ खाटूश्याम मन्दिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन देवी हेमलता शास्त्री ने राजा परीक्षित के जन्म और उससे जुड़ी कथा सुनाई। राजा परीक्षित को क्रमिक मुनि से सात दिवस में मृत्यु का श्राप मिला जिसके निवारण हेतु सुकदेव जी महाराज का आगमन हुआ।देवी हेमलता शास्त्री ने कहा कि जीवन में दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। नज़रिया बदलेंगे तो दुख में भी सुख की अनुभूति होगी। मन्दिर में पत्थर है किन्तु प्रेम उस पत्थर को भी भगवान बना देता है। देवी हेमलता ने कहा कि हमें प्रभु को निरन्तर धन्यवाद देना चाहिए। ईश्वर ने शरीर अच्छा दिया किन्तु हम शरीर के प्रति लापरवाह हुए तो रोग मिला। रिश्ते प्रेम से जुड़ते हैं किन्तु उनमें कटुता हमारी गलतियों से आती है। हमें चिन्तन करना होगा और दृष्टिकोण बदलना होगा। जब तक आप स्वयं हार नहीं मानेंगे तब तक आपको कोई हरा नहीं सकता। उन्होंने कहा कि संसार में अमृत भरा है किन्तु आपको उसमें से लेना आना चाहिए। संसार में बहुत आनन्द है किन्तु जीना आना चाहिए।कथा के दौरान देवी हेमलता शास्त्री ने राधे किशोरी दया करो, जो पहले दिया है वही कम नहीं है उसी को निभाने के काबिल नहीं हूं तथा तुम न सुनोगे तो कौन सुनेगा जैसे भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। मुख्य यजमान सुनीता अग्रवाल एवं जगदीश अग्रवाल ने भागवत की आरती की। कथा में गिरिजा शंकर अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, भारत भूषण गुप्ता सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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