ज़िंदगी की राह में अब मुस्कुराना है, आंधियों में भी हमें दीपक जलाना है

अनुराग लक्ष्य, 7 मार्च
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
अभी भी इस दुनिया में कुछ नेक इंसान इस सरजमीन पर जिंदा हैं जो अपनी जिंदगी की लड़ियां सुलझाने के साथ साथ दूसरों की जिंदगी में खुशियां और बहारें लाने का काम हमेशा करते हुए अपना जीवन यापन करना चाहते हैं।
ऐसे ही नामों में एक नाम आता है नईम खान का जो मानव कल्ल्याड संघर्ष मंच फाउंडेशन द्वारा सामाजिक समरसता को बनाए हुए हैं।
मानव कल्ल्याड संघर्ष मंच जिसका उप नाम है ,माकसम, जो पिछले 15 वर्षों से गरीबों और असहाय लोगों की अपनी सामर्थ्य के मुताबिक मदद करती आ रही है। जिसका टाइटल सॉन्ग मुझे Saleem Bastavi Azizi Lyrics Writer in Mumbai को लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, कि,
,, ज़िंदगी की राह में अब मुस्कुराना है
आंधियों में भी हमें दीपक जलाना है
जो है ठाना मन में वोह करके दिखाएंगे
माकसम के नाम का सिक्का चलाना है,,,,
बातों के सिलसिले में नईम खान ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है और सपना भी कि मानव कल्ल्याड संघर्ष मंच फाउंडेशन मुंबई के घर घर में पहुंचे। अब इसे हम और विस्तार दे रहे हैं। इसी मद्देनजर आने वाली अप्रैल की 14 तारीख को बाबा भीम राव अम्बेडकर की जयंती पर ईद मिलन समारोह एवं पत्रिका अनुराग लक्ष्य के विमोचन का आयोजन भी निर्धारित किया है।

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