मुंडेरवा। स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्राम दीक्षापार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कहा की आमतौर पर हम सोचते हैं कि जब उम्र हो जाएगी तब भगवान की भक्ति करेंगे तथा तीर्थाटन, कथा, प्रवचन को समय देंगे ।स्वस्थ शरीर है तो खूब धन कमा लो किंतु जब शरीर किसी काम का नहीं रहेगा तो भजन भी नहीं कर पाएगा तीर्थ भी नहीं कर पाएगा। उक्त प्रतिक्रिया महाकाल से पधारे महामृत्युंजय पीठाधीश्वर स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किया ।
महाराज जी ने कहा की भगवत प्राप्ति स्वस्थ शरीर में ही करने का प्रयास करें क्योंकि समय का ठिकाना नहीं है। कथा का विस्तार करते हुए महाराज जी ने बताया कि यह जीवन एक समुद्र मंथन के समान ही है देवता और दैत्य दोनों शरीर में हैं ।दैत्य मदिरा चाहते हैं और देवता अमृत ।हमें अपनी दैवीय संपदा को बढ़ावा देना होगा ।महाराज जी ने कहा वह भगवान की शरण गति से ही संभव होगा। यही कारण था कि एक ही स्थान पर एक ही समय पर समान बलऔर सामान परिश्रम देवता और दैत्य दोनों ने किया किंतु अमृत केवल देवताओं को मिला ।क्योंकि वह शरणागत थे।महाराज जी ने कहा आज भगवान श्री राम जन्म और श्री कृष्ण जन्म का आनंद भी सब ने लिया। महाराज जी ने बताया कि जब भी सनातन धर्म पर आघात होता है तब भगवान अवतार लेकर पृथ्वी की रक्षा करते हैं। श्री कृष्ण का अवतार धर्म की स्थापना दुष्टों का संघार एवं साधुओं की रक्षा हेतु हुआ है।मुख्य यजमान के रूप में रूप में कैप्टन रमाकांत शुक्ल, श्रीमती चंद्रावती देवी, तथा परिवर के अन्य सदस्यों के साथ प्रवचन के समय उमाकांत शुक्ल, शशिकांत शुक्ल, अमित शुक्ल, लक्ष्मीकांत शुक्ल, त्रिपुरारी पांडेय,राम अवध पांडे, रामचंद्र शुक्ल, चिंता हरण शुक्ल, मोहन शुक्ल मेवालाल शुक्ल, सहित तमाम महिला व पुरुष उपस्थित रहे। कथा के मुख्य आयोजक उमाकांत शुक्ल ने समस्त क्षेत्र वासियों से कथा श्रवण करने की अपील किया है।