उम्र जिसके लिए गंवाई है
उसकी फितरत में बेवफाई है
जिंदगी के हसीन चंगुल से
मौत मुझको बचाने आई है
दर्द बेचैनियां तड़प आंसू
जिंदगी की यही कमाई है
चाहे जितना सही कर साबित
जो बुराई है वह बुराई है
फिर से जारी है अश्क आंखों से
फिर निभा उसकी याद आई है…
निभा चौधरी आगरा ✍️🧘🍂