“नया विहान करो”
हो गया सबेरा नव किसलय का,
नूतन नया विहान करो।
कुछ लक्ष्य धरो इस जीवन का,
जग का भी उपकार करो।
यह जन्म हुआ कुछ अर्थ लिये,
सोचो और विचार करो।
तुम देख वायु की नई रफ्त अब,
तुम भी नव परवाज़ भरो।
चिड़ियों का यह नूतन गान सुनो,
तुम भी तान में जान भरो।
इस वर्ष स्वधर्म को तुम समझो,
नूतनता का परिधान धरो।
नव वर्ष में तुम नव जलद बनो,
बर्षा जलराशि अपार करो।
नव – पल्लव सा अविरल लहको,
माँ धारित्री को शस्य करो।
तुम ज्ञान विखेरो जन जन में और,
जन – जन का अह्वान करो।
जो कुण्ठित मलिन हुये मन से,
तुम उनमें नव-उत्कर्ष भरो।
जो मानव दानव अकुलीन हुये तुम,
उनका भी परिष्कार करो।
संकल्प नया ले और नव विचार दे,
सब में उर्जा संचार करो।
नव वर्ष कह रहे हो यदि इसको,
तो नूतनता का नवचार करो।
और सत्कर्मों में सब ही जुट जाओ,
दुनियाँ में नया विहान करो।
नव वर्ष २०२४ की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बाल कृष्ण मिश्र “कृष्ण”
३०.१२.२०२३
सरे राह कोटा से मुम्बई