अनुराग लक्ष्य, 30 दिसंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
,, मेरे बुजुर्गो के सर की पगड़ी जो हो सके तो बचाए रखना
दिलों में उनकी नसीहतों के जो फूल हैं वोह खिलाए रखना
यह वक्त ऐसा ही आ गया है कि फिक्र करने की है ज़रूरत
किसी भी सूरत में अपने घर को मुहब्बतों से सजाए रखना,,
जी हां, यह रवायत बरसों से चली आ रही है कि शहंशाह ए माहिम के उर्स मुबारक का आगाज़ माहिम पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियो की सलामी से ही होता है। माहिम पुलिस की यह अकीदत काबिल ए एहतेराम है और यह रस्म अदायगी बहुत ही पुरानी है। जब सरकार माहिम इराक से आकर माहिम समंदर पार अपना आशियाना और इबादतगाह में मसरूफ हुए थे। इसके पीछे बहुत सी कहानियां हैं की किस तरह सरकार माहिम ने माहिम पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की आराजक तत्वों से रक्षा की थी, तब से माहिम पुलिस ने जो अकीदत सरकार ए माहिम के लिए अपने दिलों में पैदा की, वोह आज भी बदस्तूर जारी है।
माहिम पुलिस चौकी में ही सरकार माहिम का वोह हुजरा आज भी मौजूद है जहां वोह बैठकर अपनी इबादत में मसरूफ रहते थे।
सरकार माहिम का उर्स मुबारक शुरु हो चुका है, जहां की रौनक अपने आप में बेमिसाल है। जायरीन और अकीदतमंद की हजारों की तादाद में हाजरी होनी शुरू हो गई है।
दरगाह कमेटी के खिदमत गुजार जायरीनों के इस्तकबाल में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। साथ ही आने वालों का इस्तकबाल दिल खोल कर कर रहे हैं।