🍁 करवाचौथ विशेषांक 🍁
वैदिक (भारतीय) संस्कृति के प्रामाणिक ग्रंथ चार वेद✍️छ: शास्त्र✍️११ उपनिषद✍️महर्षि पाणिनि कृत व्याकरण✍️ब्राह्मण ग्रन्थ✍️मनुस्मृति✍️ महाभारत✍️ महर्षि बाल्मीकि रामायण में कहीं भी 🌸 करवाचौथ 🌸 नाम का व्रत नहीं है।
हिंदुओं के जो ग्रंथ हैं गीता✍️ रामचरितमानस✍️ सत्यनारायण व्रत✍️ हनुमान चालीसा✍️ में भी 🌸 करवाचौथ 🌸 व्रत नहीं है। फिर भी हिंदू लोग करवाचौथ व्रत
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करते हैं।एक आश्चर्य और भी है वैदिक कालीन नारियां जैंसे माता कुंती🧘 जीजाबाई🧘रानी लक्ष्मीबाई🧘माता सीता🧘🌞 सूर्य 🌞को अभिवादन करती थी मगर चंद्रमा को देखने की परंपरा नहीं रही। यही नहीं यह सृष्टि नियमों के भी विपरीत है। सृष्टि का नियम है दिन में काम करो व रात में आराम करो! कोई भी पूजा -पाठ रात्रि में नहीं होती।अभी तक यह पता नहीं चला कि कब से? किसने? किस शास्त्र के आधार पर यह 🌸 करवाचौथ 🌸 ब्रत चलाया?
अब यह देखते हैं कि नारियों के बारे में वैदिक शास्त्रों में क्या लिखा है?
🍐 माता गांधारी 🍐
महाभारत में माता गांधारी कहती हैं।
योगेन शक्ति: प्रभवेन्नराणां।
पातिब्रतेनापि कुलांगनानाम्।।
अर्थात् नर योग द्वारा जो शक्ति अर्जित करते हैं, पतिब्रता,कुलांगनाओं को वह केवल पति की सेवा से प्राप्त हो जाती है।
🌰 मनु-स्मृति ५/१५५🌰
स्त्रियों के लिए पति से भिन्न न कोई यज्ञ है न कोई ब्रत है न किसी उपवास का ही विधान है।पति की सेवा से ही पत्नी स्वर्ग का आनंद प्राप्त करती है।
🌻 महात्मा तुलसी 🌻
तुलसी दास जी ने रामचरित मानस में लिखा है कि संसार में चार प्रकार की स्त्रियां होती हैं।
🌴🌴🌴[१]🌴🌴🌴
उत्तम के अस बस मन माहीं।सपनेहुं आन पुरुष जग माहीं।
🌴🌴🌴[२]]🌴🌴🌴
मध्यम पर पति देखहिं कैंसे।
माता-पिता पुत्र निज जैंसे।
🌴🌴🌴[३]🌴🌴🌴
धर्म विचार समुझि कुल रह ई।
जानेहु अधम नारि जग सोई।।
🌴🌴🌴[४]🌴🌴🌴
बिनु अवसर भय के रह जोई।
जानेहु अधम नारि जग सोई।।
🍅 महर्षि बाल्मीकि 🍅
महर्षि बाल्मीकि जी ने अयोध्या काण्ड सर्ग ११७/२३ में लिखा है।
नगस्थो वनस्थो वा शुभो वा यदि वा शुभ:।
वासा स्त्रीणां प्रियो भर्ता तासां लोका महोदया।।
अर्थात् पति चाहे नगर में हो या वन में।शुभ अवस्था में हो या अशुभ । जिन स्त्रियों को अपना पति प्रिय है उसके सभी लोक महिमाशाली होते हैं।
🌽 माता सीता जी 🌽
विदितं तु ममाप्येत यदयथा नार्या: पतिगुर्रू:
माता सीता जी वनवास के समय श्री राम से कहती हैं।हे आर्य पुत्र! मैं यही जानती हूं कि नारी का गुरु पति ही है।
🏵️ माता-अनसूया 🏵️
जब माता सीता अत्रि मुनि के आश्रम पहुंची तो उनकी पत्नी माता अनसूया माता सीता को पातिव्रत धर्म की शिक्षा देते हुए कहा!
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स्त्रीणामार्य स्वभावानां परमं दैवतं पति: ।
अयोध्या काण्ड सर्ग ११७/२४..
हे सीते! आर्य स्वभाव वाली स्त्रियों के लिए पति ही परं देवता है।
🌰🌰 घोर अन्याय 🌰🌰
तीज का व्रत नारी करें! वट सावित्री भी नारी करे! करवाचौथ भी नारी करे! निर्जला भी नारी करे! पुरुषों के लिए एक भी व्रत नहीं।इसी से पता चलता है कि ये शास्त्र सम्मत व्यवस्था नहीं है।नारी के साथ नर का मानसिक शोषण है।
🍅🍅 करना क्या है?🍅🍅
आज के करवाचौथ पर दोनों पति-पत्नी आपस में कुछ व्रत अवश्य करें!
(१) एक- दूसरे से झूठ नहीं बोलेंगे।
(२) प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर एक दूसरे को नमस्ते करेंगे।
(३) प्रतिदिन दोनों पति-पत्नी मिलकर संध्या करेंगे।
(४) प्रतिदिन दोनों पति-पत्नी मिलकर यज्ञ करेंगे।
(५) अपने -अपने माता-पिता आचार्य और अतिथियों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेंगे।
(६) देश धर्म जाति के लिए तन-मन-धन से यथाशक्ति,यथासामर्थ्य बलिदान करेंगे।
यदि उपरोक्त व्रतों को छोड़कर केवल भूखा रहने वाले व्रत का मतलब है कुछ 🧚 गोल-माल 🧚 है।
आप सबको 🌸 लोक प्रचलित करवा चौथ 🌸 की हार्दिक शुभकामनाएं।।
🪂🪂 ओ३म् 🪂🪂
आचार्य सुरेश जोशी
🍁🍁 एवं 🍁🍁
रुक्मिणी जोशी
वैदिक भजनोपदेशिका
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग
बाराबंकी उत्तर प्रदेश।