🏵️🏵️ ओ३म् 🏵️🏵️
🟣 विजयादशमी?🟣
आज पूरा देश विजयादशमी मना रहा है।आज विजयादशमी है भी। परंतु विचारणीय बिंदु ये है कि आज भी ९५% हिंदू विजयादशमी के बारे में अनभिज्ञ हैं। इसी बात को समझाने के लिए मैं ये लेख लिख रहा हूं।इस लेख का उद्देश्य किसी की धार्मिक मान्यता पर आघात करना नहीं है अपितु 🌻 सत्य को जानना व जनाना🌻 है। कुछ प्रश्न आपके लिए हैं और उत्तर भी साथ में हैं।आप स्वयं विचार करें कि सत्य क्या है?
🌴🌴 प्रश्न 🌴🌴
विजयादशमी है क्या?
🍁🍁 उत्तर 🍁🍁
वर्तमान में अधिकांश रुप से प्रचलित पंचांगों के अनुसार आश्विन (क्वार) की दशमी को विजयादशमी मनाई जाती है।
🐎 इतिहास की सच्चाई 🐎
🍁🍁 उत्तर 🍁🍁
वैदिक ऋषियों ने जो उच्च कोटि के✍️ समाज शास्त्री✍️ थे उन्होंने राष्ट्रीय को प्रभुत्व सम्पन्न बनाने के लिए मानवों के गुण -कर्म – स्वभाव के अनुसार चार भागों में बांटा था ।🌸 ज्ञानी( ब्राह्मण)🌸बलशाली (क्षत्रिय)🌸 धनवान व कृषक,वणिक( वैश्य)🌸 अयोग्य (शूद्र)🌸
इन्हें वर्ण[ योग्यता]कहा जाता है न कि तथा कथित जाति। इनमें से तीन वर्णों के गुरुकुल होते थे ।अलग अलग नाम से। जिनमें इन वर्णों के लिए गुरुकुल होते थे, उनमें किसी विशेष पर्व पर उनका प्रवेश (एडमिशन)होता था।
🪷🪷 श्रावणी 🪷🪷
जिनकी वेद-विज्ञान में रुचि होती थी उनका प्रवेश श्रावणी उपाकर्म पर होता था।ये विद्यार्थी 📓 सांगोपांग वेद-वेदांगों 📓 को पढ़ते थे और अज्ञान का नाश करते थे।जो आज बिगड़ कर 🪂रक्षाबंधन 🪂हो गया है।जो श्रावण मास में होता था। कालांतर में यह जातिवादी त्योहार बन गया जो आज की समाज व्यवस्था में सही नहीं है।
🪷 विजयादशमी 🪷
यह पर्व आश्विन (क्वार) मास की दशमी को होता था जिसमें क्षत्रिय बालक शस्त्र प्रदर्शन करते। पुराने शस्त्रों को ठीक करते।नये शस्त्र निर्माण करते। राष्ट्र में ⚔️अन्याय-अत्याचार ⚔️न हो इसकी जिम्मेदारी लेते थे।स्नातक क्षत्रियों की विदाई व नये क्षत्रिय बालकों का प्रवेश होता था।
🪷 दीपावली 🪷
यह पर्व कृषक, वणिक, बालकों का होता था।इस पर्व में वार्षिक आय-व्यय का लेखा-जोखा होता था। राष्ट्र के लिए अन्न -धन आदि की पूर्ति होती थी।
🪷 होली 🪷
शूद्रों की होली। मतलब जो शूद्र (अयोग्य अर्थात् इन मानवों में न ज्ञान,न बल,न धन का ज्ञान होता था। इसलिए 🌸अज्ञान🌸अन्नाय🌸 अभाव के कारण हमेशा लड़ते-झगड़ते रहते थे। ऐसे लोग आज भी समाज में हैं। हमारे वैदिक ऋषियों ने इनके लिए भी पर्व बनाया 🏄होली🏄 अर्थात् जो हो लिया सो हो लिया अब प्रेम भाव से समाज की मुख्य धारा से जुड़ेंगे।इस प्रकार ये शूद्र लोग 🌸बुद्धिमानों (ब्राह्मणों)🌸 बलवानों (क्षत्रियों)🌸 धनवानों (वैश्यों)🌸 के साथ सेवा कार्य करके अपनी योग्यता बढ़ाकर पुनः वैश्य🧚 क्षत्रिय🏋️ व ब्राह्मण🧘 बनते थे।यही सच्चाई है मगर महाभारत के युद्ध के बाद ये समाज व्यवस्था नष्ट -भ्रष्ट होकर गुण -कर्म -स्वभाव का स्थान तथा कथित जातिवाद ने ले लिया और आज इन 🧗 शूद्रों 🧗 को अपनी तुच्छ राजनीति चमकाने के लिए 🐵 हरिजन, दलित, शोषित, पीड़ित 🐵 कहकर समाज को तोड़ने का काम किया और आज भी यह मानव संघर्ष इन 👾 संकीर्ण मानसिकता 👾 वालों ने जिंदा रखा है।
🌴🌴 प्रश्न 🌴🌴
आपकी बात समझ में आ गई मगर लोग कहते हैं 🗡️विजयादशमी🗡️ के दिन भगवान राम ने रावण को मारा था?
🪷🪷 उत्तर 🪷🪷
यह १००% झूठ है।किसी भी सत्य सनातन धर्म की पुस्तक में ऐसा नहीं लिखा है।
🌴🌴 प्रश्न 🌴🌴
यदि यह झूठ है तो इस झूठ को फैलाया किसने?
🪷🪷 उत्तर 🪷🪷
इसके🌴तीन🌴कारण हैं।
(१) आज के भौतिक वाद में मानव ने अपने को केवल रोटी -कपड़ा -मकान तक सीमित कर लिया है।सत्य को जानने की रुचि लोगो में खत्म हो गई है।जो भी भेड़िया चाल समाज में हो रहा है लोग उसका केवल मनोरंजन करते हैं उन्हें सत्य को जानने की इच्छा ही नहीं रहती।या केवल बुजुर्गों से यही चला आ रहा है कहकर लोग पल्ला झाड़ देते हैं। हां ये कमी केवल हिंदुओं में है। ईसाई, मुसलमान, बौद्ध, कम्युनिस्ट इसका लाभ उठाकर भोली भाली जनता का धर्मांतरण करते हैं और हिंदुओं की संख्या को कम कर रहे हैं।
(२) हिंदुओं में जो रामलीला पार्टियां हैं उन्होंने यह ग़लत प्रचार किया है। हास्यास्पद तो ये है वो जिन किताबों का उदाहरण देकर क्वार की दशमी को रावण वध करते हैं उनकी किताबों में भी ये नहीं लिखा है।
(३) सबसे बड़ा कारण है राष्ट्र वादी सरकारों का न होना। लगभग ७० वर्षों से अधिक देश में कांग्रेस पार्टी का शासन रहा उनके काल में जितने भी शिक्षा मंत्री रहे किसी को भी न तो भारतीय 🌽संस्कृति -सभ्यता और न ही भारत के सत्य सनातन वैदिक धर्म का ज्ञान🌽 था। इसलिए उन्होंने हिंदुओं के इतिहास पर कभी अध्ययन नहीं किया केवल ओट बैंक की राजनीति में 🍐धर्म -अधर्म, अज्ञान🍐 सबको चलने दिया।आज देश में राष्ट्रवादी सरकार है मगर यह भी🌰 दुर्भाग्य🌰 ही कहा जायेगा कि उसका भी ध्यान देश के 🫑विशुद्ध इतिहास 🍅पर नहीं जा रहा है।
🌴🌴 प्रश्न 🌴🌴
आखिर सत्य क्या है?
🪷🪷 उत्तर 🪷🪷
इस सच्चाई को जानने के लिए आप हम जिन प्रमाणों को दे रहे हैं उनको ध्यान से पढ़ेंगे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।
🧘 श्रीराम वनवास 🧘
चैत्र मास में श्रीराम जी का राजतिलक होना था परंतु राजनीतिक षड़यंत्रों से तिलक की जगह वनवास हो गया जो १४ वर्षों का था। अतः वासी भी चैत्र मास में ही होनी चाहिए, क्योंकि एक चैत्र मास से दूसरे चैत्र मास में एक वर्ष माना जायेगा।१२ वर्ष तक वनवास ठीक -ठाक बीता।
🌳 पंचवटी प्रवेश 🌳
१३ वें वर्ष के चैत्र माह में श्री राम पंचवटी पहुंचे और १३वें वर्ष के पूष माह में शूर्पणखा श्री राम से मिलने पंचवटी आई।
💃 जानकी अपहरण 💃
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन श्रीराम,श्री लक्ष्मण जी की अनुपस्थिति में लंकापति ने माता सीता का अपहरण किया।इस प्रकार ७दिन माघ+१माह फाल्गुन+१माह चैत्र बीतने पर १३ वां वर्ष वनवास का समाप्त हो गया।
🤜 श्रीराम -सुग्रीव मित्रता🤛
१४ वें वर्ष में चैत्र,वैशाख माह बीतने पर ज्येष्ठ माह के अंत में श्रीराम जी व वानर राष्ट्र के पलायन योद्धा सुग्रीव जी से मिलन हुआ।मित्रता के साथ बालि वध व सुग्रीव का राज्याभिषेक हुआ।इतने में 🏇 चातुर्मास 🏇 आ जाने से माता सीता की खोज रुक गई।
🌾 चातुर्मास 🌾
आषाढ़,श्रावण, भाद्रपद और क्वार ये हैं चातुर्मास।अब देखें महर्षि बाल्मीकि जो प्रामाणिक ग्रंथ है उसमें क्या लिखा है?
प्रसूत सलिला सौम्य,प्रभूत कमलोत्पला।
कार्तिक समनुप्राप्ते,त्वं रावण वंदे मत।।
*किष्किन्धाकाण्ड सर्ग २६/५
अर्थात् हे सुग्रीव! तुम कार्तिक मास के आने पर सीता के अपहरण करने वाले रावण के वध करने का प्रयत्न करना।इस प्रकार कार्तिक मास के अंत में उन्होंने वानर सेना को सीता की खोज में भेजा। जिसमें एक माह लगा।
अब आप सोचो!आप लोग क्वार में ही रावण को मार देते है इसीलिए वो मरता नहीं और आप हर साल मारने का ढोंग करते हैं।यह श्रीराम का अपमान नहीं तो और क्या है?
🚴 सीता खोज+पुल निर्माण 🚴
पूरा अगहन माता की खोज में लगा।इस प्रकार 🌳[ माघ+फाल्गुन+चैत्र+वैशाख+ज्येष्ठ+आषाढ़+श्रावण+भाद्रपद+क्वार+कार्तिक+अगहन=१०माह]🌳 माता सीता को लंका में हो गए।
१४ वें वर्ष के माह पौष शुक्ल दशमी से त्रयोदशी तक पुल बांधा गया। ३ दिन में सेना लंका पहुंची।इस प्रकार १४ वर्ष का पूष माह भी समाप्त हो गया।
🥣 अंगद का दूत बनना 🥣
माघ शुक्ल प्रतिपदा को अंगद रावण संवाद हुआ मगर संवाद विफल हो गया।
🏹 श्रीराम -रावण युद्ध 🏹
१४ वें वर्ष के माघ शुक्ल द्वितीया को महासंग्राम आरंभ हुआ जो चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तक चला।कुल युद्ध ७२ दिन चला।इसका गणित भी जान लीजिए। [ माघ शुक्ल १२ +कृष्ण पक्ष १५+ फाल्गुन ३०+ चैत्र=६१ दिन+विश्राम युद्ध में ११दिन=७२ दिन। ११ दिन युद्ध बंद रहा। श्रीराम जी और लंकापति का अकेले युद्ध १८ दिन चला।
👾 माता की जेल 👾
माघ+फाल्गुन+चैत्र+वैशाख+ज्येष्ठ+आषाढ़+श्रावण+भाद्रपद+आश्विन+कार्तिक+अगहन+पूष+माघ+फाल्गुन= १४माह+१४ दिन।इस प्रकार कुल१४ माह,१४ दिन माता सीता जी लंका में कैद रही।
🟤 लंकेश निधन🟤
अब तो आपको प्रमाण मिल गया है कि १४ वर्ष के 🌸 चैत्र मास शुक्ल पक्ष चौदस को रावण का वध हुआ।अब देखो बाबा तुलसीदास जी भी रामचरितमानस में यही बात लिख रहे हैं।
चैत्र शुक्ल चौदस जब आई।
मरयो दशानन जग दुखदाई।।
👁️ आंखों देखी 👁️
एक जगह क्वार के दशमी में रावण वध हो रहा था वहां पर रामलीला का डायरेक्टर मंच से यही चौपाई बोल रहा था मैंने सुन लिया तो मैं उसके पास गया आप बोल रहो हो🪺 चैत्र शुक्ल चौदस जब आई ।मरयो दशानन जग दुखदाई 🪺 मगर आज तो आश्विन (क्वार) की दशमी है।उसने जो उत्तर दिया उसे सुनकर आपको भी हंसी आयेगा।कहने लगे किताब में गलत छप गया है इसे ठीक कराना पड़ेगा।ये हाल है डायरेक्टर साहब का तो रामलीला कमेटी का क्या हाल होगा?
🏵️ करना क्या है?🏵️
आपकी आने वाली पीढ़ी संकट में है।जिस देश का इतिहास झूठा पढ़ाया जाता है वहां के नागरिक कभी सत्य को नहीं जान पाते और हंसी के पात्र बनते हैं। इसलिए स्वयं अपने भ्रम को दूर कीजिए और संपूर्ण देश में इस लेख को प्रेषित (शेयर) कीजिए।जो देश का इतिहास वहां के नागरिक नहीं जानते वो देश कभी भी गुलाम हो सकता है।
आचार्य सुरेश जोशी
🌴 वैदिक प्रवक्ता 🌴
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उ.प्र.