भोपाल, भाजपा ने मध्यप्रदेश की अपनी सत्ता को बचाने के लिए सब कुछ झोंक दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएस संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश का पूरा फोकस मध्यप्रदेश पर बना हुआ है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार के 230 विधायक इन दिनों सभी विधानसभा सीटों पर पूरा फीडबैक लेने का काम कर रहे हैं। बूथ विस्तार को और विधानसभा सहायकों को जल्दी ही प्रशिक्षण देकर चुनाव मैदान में उतार दिया जाएगा। भाजपा अपने मंडल सतर तक के पदाधिकारियों से कह रही है कि चुनाव के अंतिम 50 दिनों तक हुए पूर्णकालिक की तरह काम करें। सूत्रों का कहना है कि चुनाव के इस समय करीब 70 हजार कार्यकर्ता लगातार चुनाव अभियान में जुटे हुए हैं। आने वाले दिनों में यह संख्या अज्ञैर बढ़ाने वाली है। इधर, संघ नेतृत्व के मध्य्रपदेश को कितना महत्व देता है यह सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले के लगातार मध्यप्रदेश में हो रहे प्रवासों से जाहिर है। सूत्रों का कहना है कि इस महीने भी संघ के शीर्ष पदाधिकारी मध्य प्रदेश का प्रवास करने वाले हैं। संघ ने पहली बार अपने एक सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य को भोपाल स्थित क्षेत्रीय संघ कार्यालय समिधा में तैनात कर रखा है। भाजपा का संगठन जहां मेगा इलेक्शन मशीन बना हुआ है तो वहीं कांग्रेस की तैयारी भाजपा के मुकाबले काफी पीछे है। भाजपा ने मिशन 2023 को फतह करने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया है। पार्टी ने पिछली गलतियों से सबक लेकर इस तरह तैयारियां की हैं, कि चुनाव प्रबंधन का कोई भी आयाम भले ही वह कितना भ छोटा क्यों ना हो, नहीं छूट पाए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पूरा फोकस मध्यप्रदेश के चुनाव पर बना हुआ है प्रदेश के सभी प्रमुख नेताओं को दिनभर उनके फोन आते रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने राजनीतिक फैसलों से हमेशा चौंकाते आए हैं। भाजपा प्रत्याशियों की अगली सूची फिर एक बार चौंकाने वाली हो सकती है। सूत्रों के अनुसार भाजपा श्राद्ध पख समाप्त होते ही सुपर एक्टिव मोड पर आ जाएगी। इस दौरान मतदान केंद्र प्रबंधन, पदाधिकारियों और चुनाव संचालकों का प्रशिक्षण, मतदान केंद्र प्रबंधन की दृष्टि से मतदान केंद्र पर गठित सभी टीमों की बैठकें तथा प्रत्येक रविवार को महा जनसंपर्क अभियान जैसे कार्यक्रम लगातार चलेंगे। संगठन पदाधिकारियों का प्रत्याशियों के लिए एक ही मंत्र है कि एक-एक वोट कीमती है, इसको ध्यान में रखकर चुनाव प्रचार अभियान चलाना चाहिए। खास तौर पर प्रत्याशी विनम्रता से काम लें और सभी को साथ में लेकर चलने की हर संभव कोशिश करें। भाजपा के एक पदाधिकारी ने चर्चा में साफ किया कि पार्टी किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं बदलेगी। सभी 79 प्रत्याशियों में से करीब 22 सीटों पर असंतोष के स्वर सामने आए हैं। पार्टी का मानना है कि आने वाले दिनों में कार्यकर्ताओं को मना लिया जाएगा। प्रत्याशी घोषित होने पर थोड़ी बहुत नाराज होना लाजमी है क्योंकि एक-एक सीट पर दर्जन भर दावेदार टिकट मांग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जिस तेजी और बड़े पैमाने पर काम हो रहा है उससे यह तय है कि पार्टी हारी हुई सीटों पर अपनी अगली लिस्ट नवरात्र के पहले दिन घोषित कर सकती है। कुल मिलाकर भाजपा के चुना वअभियान को गति और उसका प्रभाव देखते हुए कहा जा सकता है कि कांग्रेस चुनाव अभियान के मामले में काफी पिछड़ गई है। हालांकि कांग्रेस की भी पहली सूची तैयार है। वह भी 15 अक्टूबर तक अपने लगभग 150 प्रत्याशी घोषित कर देगी। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ के पर कतरने से पार्टी का चुनाव अभियान प्रभावित हुआ है। राहुल गांधी कर्नाटक चुनाव का टोटका आजमाना चाहते हैं। इसी वजह से रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्य प्रदेश के चुनाव की जवाबदारी दी गई है। रणदीप सिंह सुरजेवाला और भंवर जितेंद्र सिंह जैसे नेता केवल राहुल गांधी के निर्देशों पर काम करते हैं। इस वजह से कमलनाथ को उनके साथ तालमेल बैठाने की समस्या आ रही है।