पुरखों के दिखाए राह

पुरखों के दिखाए राह
सत्य  पथ की    बात हो     हरिश्चन्द्र सा  धीर ।
वचन रक्षा के खातिर जिसने बेचा अपना शरीर ।।
जब दानी की बात हो     ऋषि दधीच का दान।
अपने तन से बढ़ कर जिसने माना दान प्रधान ।।
मर्यादा की   बात हो     रघुबर से लो    सीख ।
पिता आज्ञा   के पालन में वन  में   भटके वीर।।
भ्रातृ प्रेम को सीख लो भरत लक्ष्मण   का प्यार।
एक बन में  साथ रहे    दूजे याद में काटे  रात।।

समझाया श्री कृष्ण ने    धीरज     रख्खो धीर।

चाहे   बारह वर्ष हो    न्याय की    होगी जीत।।
राष्ट्र प्रेम   की बात हो      गंगा पुत्र का त्याग ।
जीवन के अंतिम छन तक राष्ट्र हित की बात।।
गढ़ना हो नव राह तो   गुरु चाणक्य    का ज्ञान ।
अदना सा बालक भी बन सकता अशोक महान ।।
आदि शंकर का ब्रह्म ज्ञान फैला सकता है प्रकाश ।
सनातन के प्राचीन परमपरा को जान पाया संसार।।
आओ मिलकर अब चुने     मिला जुला वो राह।
अपने पथ को रौशन करें दिखाए पुरखों के राह।।
श्री कमलेश झा भागलपुर  999 089 1378

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