कुर्सी बचाने के चक्कर में नहीं हो पाया नगर पालिका बस्ती की सीमा का विस्तार

बस्ती। 26 सितंबर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के नगर पालिका परिषद बस्ती बहुत पुरानी नगर पालिका है लेकिन इसका विकास उतना नहीं हो पाया जितना इसका होना चाहिए था शहर की सीमा को बढ़ाने के लिए नगर पालिका परिषद बस्ती ने जिला प्रशासन के माध्यम से तीन साल पहले प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था। शासन की स्वीकृति भी मिल गई। आसपास के करीब 58 गांवों को इसमें शामिल करने के लिए गवर्नर की ओर से दिसंबर 2020 में अधिसूचना जारी करके इस पर आपत्ति मांगी गई थी। आपत्ति देने की तैयारी चल रही थी कि इसी बीच अधिसूचना में समीप के कुछ ग्राम पंचायतों के नाम शामिल नहीं थे, वहां के निवासियों ने इसमें शामिल करने को लेकर लिखा-पढ़ी शुरु कर दी। वहीं से इसके 20 तारीख कारण का क्रम रुक गया
एक जनप्रतिनिधि इसमें एक कदम और आगे बढ़ गए उन्होंने शासन में अपने रसूख का इस्तेमाल कर अधिसूचाना को ही निरस्त करा दी। पचास साल के बाद शहर से सटे गांवों के विकास की उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया। शहर की सीमा के विस्तार नहीं होने के पीछे दो ब्लॉक प्रमुखों की कुर्सी को बचाए रखना मुख्य वजह मानी जा रही है। सीमा विस्तार की प्रशासनिक कवायद खामोशी बस्ते में दफन हो गई। शहर से सटे गांवों के निवासियों में सीमा विस्तार नहीं करने को लेकर शासन सत्ता के फैसले पर जबरदस्त गुस्सा है
अगर सीमा का विस्तारित कारण हो गया होता तो इससे ग्रामीण इलाकों में सड़क, साफ-सफाई, पानी और पथ प्रकाश जैसी बेहतर सुविधाएं मिल गई होती साथ ही शहर की तर्ज पर 24 घंटे बिजली आपूर्ति की सुविधा भी गांवों को मिली होती वर्तमान में नगर पालिका क्षेत्र में 25 वार्ड हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 1.08 लाख लोग इन वार्डो में रहते थे लेकिन, पालिका अधिकारियों के अनुसार शहर की जनसंख्या अब बढ़कर तीन लाख से अधिक पहुंच चुकी है। वर्ष 1971 में नगर पालिका परिषद के गठन के बाद लंबे समय शहर की सीमा का क्षेत्र की सीमा का विस्तार नहीं हो पाया है लेकिन, क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं। जो नगर पालिका की सीमा से मिले हुए हैं। ग्राम भूअर निरंजनपुर का आबादी वाला क्षेत्र यहां बनी नई कालोनियों की सीमा शहर से मिल चुकी हैं। ग्राम खौरहवा, बेलगड़ी, मनहनडीह,बड़ेबन,डमरुआ जंगल भी पालिका क्षेत्र से मिल चुके हैं। पालिका की सीमा क्षेत्र से जुड़े करीब पांच दर्जन गांवों के जुड़ने से जहां गांवों का विकास होगा। पुराने नगर में आबादी का दबाव भी कम होगा। साथ ही आसपास के गांवों के पालिका क्षेत्र में आ जाने से नगर की आबादी बढ़ जाएगी
नगर पालिका परिषद बस्ती को नगर निगम में बदलने के लिए शहर का क्षेत्रफल, जनसंख्या का बढ़ना अत्यधिक आवश्यक है। क्योंकि नगर पालिका ने सीमा विस्तार के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था लेकिन सियासी दखल की वजह से नगर पालिका की फाइल दब गई । ऐसे में यदि शहर की सीमा का विस्तार होता है तो फिर नगर निगम के लिए दावा मजबूत होगा।
शहर के आसपास के 58 गांवों को नगर पालिका में शामिल करने प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें भुअर निरंजनपुर, मिश्रौलिया, बड़डाड़, बढ़नी, बड़ेवन, बड़ेरिया खुर्द, बड़ेरिया बुजुर्ग, बघवार, बरगदवा, बैरिया उर्फ बैरिहवां, बरवां, बायपोखर, बेलगड़ी, भद्रेश्वरनाथ, भैंसहिया, चननी सियरोबास, छिहुलिया, डड़वा, देईपार, दामोदरपुर, डारीडीहा, डिलिया, डिडौहा, घरसोहिया, गिदही खुर्द, हरदिया बुजुर्ग, हवेलिया खास, इटाली पांडेय, जामडीह शुक्ल, जामडीह पांडेय, झलकटिया, जिगिना, जिगनी, करनपुर, खौरहवा, खीरीघाट, खोराखार, लबनापार, लखनौरा, लौकिहवां, लैबुड़वा, महुड़र, मचखीरिया, मंझरिया, मड़वानगर, मनहनडीह, मरवटिया, मेधा, मूड़घाट, मुंडेरवा, नऊवाडांड़, नऊवाडांड़ी, नावच, निबिया, पचौरा, परासी, परसा तकिया, पिपरी, पिपराराम किशुन, रुधौली, संतपुर, सोनबरसा, सुपेलवा, टांगपारा, ऊंची भिटिया, पांडेयडीह, कृष्णा भगौती, दुधौरा, धर्मूपुर राजस्व गांव के नाम हैं। क्योंकि इन गांवों की आबादी नगर पालिका की सीमा की आबादी से लगभग मिली हुई है
वर्तमान नगर पालिका के चेयरमैन नेहा वर्मा का कहना है कि पालिका की सीमा के विस्तार के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर दुबारा भेजने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पूरी पैरोकारी भी की जाएगी। ताकि नगर पालिका परिषद बस्ती को आगामी वर्षो में नगर निगम का दर्ज प्राप्त हो सके। शहर से सटे जो भी गांव पालिका सीमा में शामिल होते हैं तो निश्चित ही इन गांवों का विकास भी कराया जाएगा। परिषद की आय में भी इजाफा हो सकेगा, शासन से बजट भी बढ़ जाएगा। साथ ही साथ विकास की गतिविधि तेजी के साथ होगी और शहर के लोग पानी बिजली तथा अन्य सुविधाओं से लैस होंगे।

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