आप डेढ़ सौ वर्ष तक जी सकते हैं- आचार्य मोहनेन्द्र विश्वामित्र

इसके पहले आचार्य मोहनेंद्र विश्वामित्र ने बताया था कि डेढ़ सौ वर्ष तक मनुष्य स्वस्थ रहकर जी सकता है इसका सूत्र उन्होंने वेदों में ढूंढ लिया है जिसके कई प्रमाण है और निरंतर कुछ न कुछ प्रमाण जो मंत्र हैं आप तक प्रेषित होते रहेंगे और आप उसका लाभ उठा सकते हैं
सोम रस प्रकल्प के विषय में जानकारी देते हुए एक मंत्र का उदाहरण उन्होंने दिया है

उदाहरण

(१११)गांव केआगे-सोम महायाग करने -कराने और सोमरस पीने -पिलाने का प्रमाण,*यज्ञं व्याख्या स्याम: से त्रिभिर्वैदै:(आप ०श्रौत२४/१/१-२)* ‌ यज्ञ तीनों वेदों से साध्य है।सोमरस तो वेद,शास्त्र, शाखाएं ब्राह्मण ग्रन्थ, रामायण, महाभारत एवं सभी अनार्ष ग्रंथों में निहित है,यह अकाट्य सत्य है,इसे झूठलाया नहीं जा सकता। अभी मैं रामायण कालीन सोम महायज्ञ और सोमरस की चर्चा कर रहा हूं। रामायण काल में प्रथम पुत्रेष्टि सोम महायज्ञ,दूसरा अग्निष्टोम सोम महायज्ञ बक्सर में, महर्षि विश्वामित्र के सानिध्य में, तीसरा,आप्तोर्याम महायज्ञ, वैद्य त्रिजट आचार्य के सानिध्य में हुआ। यह यज्ञ १४वर्ष वनवास लौटने के बाद हुआ था, ऐसा महर्षि व्यास जी द्वारा रचित,*रामायण तात्पर्य प्रदीपिका*, वर्णन है। कहते हैं १४वर्ष तक भोजन में अनियमिता होने से चारों भाई तृषित, दुबले पतले हो गये थे, फिर से सुन्दर, सुदृढ़,सोम्य, बलिष्ठ, पराक्रमी,शरीर शैष्ठव करने के लिए यज्ञ करके*सोमरस* बनाया गया था। क्रमशः,*सोमरस पारिजातम्*, से साभार।
आचार्य मोहनेन्द्र विश्वामित्र ने अपने सोम रस प्रकल्प का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि,वेदों मे सोम से सम्बंधित 1258 मंत्र हैं।इनमे सोम रस निर्माण,उसके गुण तथा उससे यज्ञ की प्रक्रिया तथा सोम यज्ञ से लाभ का वर्णन है ।इस विषय पर उन्होंने निरंतर 45 वर्षों तक शोध किया है।

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