डेढ़ सौ वर्ष तक मनुष्य जी सकता है *सोमामृत रसम* पीकर

आइए हम ऐसे ऋषि से मिलाते हैं जिन्होंने लगभग 45 वर्ष के शोध के बाद वेद के मत्रों में तलाश कर मनुष्य को डेढ़ सौ वर्ष जीने का उपाय पा लिया है । गांधीनगर आर्य समाज बस्ती में एक संक्षिप्त मुलाकात के दौरान अनुराग लक्ष्य के संपादक से बातचीत के दौरान इन्होंने बताया की मनुष्य वैसे 300 वर्ष तक जी सकता है लेकिन अभी तक के शोध में डेढ़ सौ वर्ष के जीने के लिए औषधीय और तमाम ऐसे वेद के मंत्र हैं जिनके द्वारा मनुष्य आसानी से जी सकता है और निरोगी रह अपना सुखमय जीवन व्यतीत कर सकता है ऐसे ऋषि का नाम है आचार्य मोहनेन्द्र विश्वामित्र

सोम रस प्रकल्प
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आर्य समाज मन्दिर ,बक्शीपुर, गोरखपुर मे वेद ,वेदांग, दर्शन, उपनिषद, रामायण व पुराणों के प्रकांड विद्वान, आचार्य मोहनेन्द्र विश्वामित्र ने अपने सोम रस प्रकल्प का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि,वेदों मे सोम से सम्बंधित 1258 मंत्र हैं।इनमे सोम रस निर्माण,उसके गुण तथा उससे यज्ञ की प्रक्रिया तथा सोम यज्ञ से लाभ का वर्णन है ।इस विषय पर उन्होंने निरंतर 45 वर्षों तक शोध कर इस विषय को उद्घाटित किया है। इसका परीक्षण भारत सहित अमेरिका, जापान आदि विदेशों की शोधशालाओं मे किया गया है। भारत सरकार आयुष मंत्रालय ने इसका परीक्षण करने के पश्चात इसके निर्माण का इन्हे लाईसेंस भी प्रदान किया है। अब इनकी योजना इस सोम रस को प्रचुर मात्रा मे निर्माण कर, सर्व मानव कल्याणार्थ बृहद स्तर पर इसका वितरण करने की है। इस निर्माण प्रक्रिया हेतु स्थान के रूप मे उत्तराखंड के पन्चूर ग्राम का चयन किया गया है , जो माननीय मुख्य मन्त्री उत्तर प्रदेश पूज्य योगी आदित्य नाथ जी महाराज का पैतृक ग्राम है तथा प्रदूषण मुक्त और दुर्लभ वनौषधियों तथा सोम रस निर्माण हेतु आवश्यक गंगा जल आदि से परिपूर्ण है। इस निर्माण कार्य हेतु आश्रम,यज्ञ शाला व निर्माण शाला का कार्य वे 2025 से प्रारम्भ करेंगे।
इस बीच वे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से गुजरात के सोम नाथ तक विभिन्न स्थानों पर सोम महायज्ञ,राम कथा और सोम रस निर्माण कर उससे यज्ञ करेंगे और जनता मे उसे वितरित कर उसका और उसके सह उत्पादों का प्रभाव और महत्व प्रदर्शित करेंगे।इसका शुभारंभ वे गोरखपुर से अप्रैल 2024 मे यहाँ 10 दिवसीय कार्यक्रम कर के करेंगे।
आचार्य विश्वामित्र जी ने यह भी स्पष्ट किया कि, सोम रस के विषय मे अनेक भ्रान्तियाँ और दुष्प्रचार जन मानस मे फैला दिये गये है और इसे शराब का पर्याय प्रचारित कर दिया गया है। जब कि कहीं भी किसी भी ग्रंथ मे सोम रस को शराब नहीं प्रतिपादित किया गया है, अपितु इसको एक दिव्य औषधि एवं पोषक पदार्थ बताया गया है। इसी कारण वे इस पोषक पेय का नाम ” सोमामृत रसम “ और निर्माण शाला का सम्भावित नाम ” सोमामृत शोध एवं निर्माण आश्रम ” रक्खेंगे। जिसको पीकर मनुष्य डेढ़ सौ वर्षो तक जी सकता है।
गोरखपुर मे इस प्रकल्प का केंद्र ” आर्य समाज गोरखपुर ( बक्शीपुर ) होगा।

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