हिन्दी का परचम लहरायें ।
आओ हिन्दी दिवस मनायें ।
नही किसी भाषा के सम्मुख,
हिन्दी हुई कभी नतमस्तक ।
हिन्दी हर भाषा के घर पर,
प्रेमपूर्वक देती दस्तक ।
तरह-तरह के फूल लगाकर,
हिन्दी की बगिया महकायें ।
आओ हिन्दी दिवस मनायें ।
वह होते जीवन में असफल
जो रोते हिन्दी का रोना ।
दुनिया भर में महक रहा है,
हिन्दी का नवरूप सलोना ।
पूरे मनोयोग से वर्मा,
हिन्दी की गाथा दुहरायें ।
आओ हिन्दी दिवस मनायें ।
हिन्दी सदा पल्लवित पुष्पित हो,
सबके उर की अभिलाषा ।
है हमको विश्वास बनेगी,
हिन्दी कभी राष्ट्र की भाषा ।
“वर्मा” हिन्दी मां है अपनी,
हम माता का मान बढ़ायें ।
आओ हिन्दी दिवस मनायें ।
कबीर, सूर, तुलसी, रहीम नें,
हिन्दी का है मान बढ़ाया ।
भारतेन्दु हरिश्चन्द ने,
इसे शिखर तक है पहुँचाया ।
हिन्दी की बिन्दी से हम सब,
भारत मां का भाल सजांयें ।
आओ हिन्दी दिवस मनायें ।
हिन्दी का परचम लहरायें ।
डा0 वी0 के0 वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी जिला चिकित्सालय-बस्ती ।