लकवा से कैसे बचे- डॉक्टर बी के वर्मा

,खान पान की बदलती आदतें और तनाव,  और भागदौड़ भरी जिंदगी बीमारियों का सबसे प्रमुख कारण है। लकवा, पक्षाघात या (पैरालिसिस) एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में पहले लोगों को पता नहीं चलता है और अचानक से परेशानी हो जाती है। इसके बारे में हमने विस्तार से बस्ती जिला अस्पताल के आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा से विस्तार से बातचीत किया। डा. वर्मा ने अनेकों लकवाग्रस्त मरीजों का सफल इलाज किया है। आइए जानते हैं, लकवा के लक्षण, कारण, देशी और होम्योपैथिक इलाज क्या है।

क्या है लकवा (पैरालिसिस) ?

लकवा एक वायु रोग है, जिसे पैरालिसिस, लकवा और पक्षाघात के नाम से भी जानते हैं। इसमें मांसपेशियों की कार्यविधि प्रभावित हो जाती है। मस्तिष्क् से अंगों में संदेश पहुंचाने वाली तंत्रिकाओं और रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने की स्थिति में लकवा होता है। लकवा किसी एक मांसपेशी या समूह या शरीर के बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। इसका प्रभाव ये होता है कि शरीर के किसी एक भाग की मांसपेशियां काम करनी बंद कर देती है। यानी ऐसी अवस्था में लकवा से ग्रस्त व्यक्ति एक से ज्यादा मांसपेशियों को हिलाने में असमर्थ होता है। यह स्थिति तब आती है, जब मांसपेशियों और मस्तिष्क के बीच संचार सही से नहीं हो पाता है। लकवा शरीर के एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में हो सकता है यानी शरीर के एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है।

लकवा 3 प्रकार का होता है

मोनोप्लेजिया : इस प्रकार के लकवे में शरीर का केवल एक अंग प्रभावित होता है। हेमीप्लेजिया : इस पेरालिसिस में शरीर के एक तरफ का हाथ और पैर लकवाग्रस्त होते हैं। पैराप्लेजिया : कमर से नीचे के अंग लकवाग्रस्त होने को पैरापलेजिया लकवा कहा जाता है। इस रोगी के दोनों पैर प्रभावित होते हैं।

लकवा के लक्षण

सामान्यतौर पर लकवा के लक्षण को पहचानना बहुत आसान होता है। ऐसे में मरीज को किसी विशिष्ट भाग में कुछ भी महसूस होना बंद हो जाता है। कई बार अंग में पैरालिसिस होने से पहले झुनझुनी या सुन्नता जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पैरालिसिस में शरीर का तकवा ग्रस्त हिस्सों की मांसपेशियों पर कंट्रोल खत्म हो जाता है। लकवा के दौरान आपको निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं। कभी-कभी मांसपेशियों में ऐठन व दर्द होना, मांसपेशियों में कमजोरी होना, मुंह से लार गिरना,. सिर दर्द, सोचने-समझने की क्षमता में कमी, चेहरे के एक साइड के हिस्से में कमजोरी होना, देखने और सुनने की क्षमता में बदलाव मूड और व्यवहार में बदलाव होना, सांस लेने में परेशानी आदि इसके लक्षण हैं।

लकवा का कारण

ऐसे कई संभावित कारण है, जिनकी वजह से किसी व्यक्ति का शरीर परमानेंट या टेंपरेरी रूप से लकवा ग्रस्त हो सकता है। कई मामलों में यह रीढ की हड्डी में चोट या नुकसान के कारण होता है। इसके अलावा निम्नलिखित कारण है, जिनके कारण लकवा हो जाता है। जैसे किसी तरह का अटेक या स्ट्रोक, पोलियो, हड्डी, पीठ या सिर में गहरी चोट, ट्रामा, मल्टीपल स्केलरोसिस, शरीर के एक हिस्से में, हांथ या हाथ-पैर दोनों में कमजोरी महसूस होना। .

लकवा का देसी इलाज

लकवा के कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय है, जिसे आप घर पर आसानी से कर सकते हैं। दवाओं और इलाज के माध्यम से लकवा को नियंत्रित और ठीक किया जा सकता है।

गिली मिट्टी का लेपः गिली मिट्टी का लेप पैरालिसिस में बहुत उपयोगी माना जाता है। आप नियमित रूप से लकवा रोगियों में गिली मिट्टी का लेप लगा सकते हैं। यदि आप इसे रोजाना कर सकते हैं तो एक दिन का गेप ले सकते हैं। मिट्टी का लेप लगाने के बाद मरीज को कटीस्नान करना जरूरी होता है। यह उपाय लकवा मरीज के लिए बहुत लाभकारी साबित होता है।

ऑयलः लकवा से ग्रसित अंगों में ऑयल लगाने के लिए आपको एक तरह का तेल तैयार करना होगा। इसके लिए आप आधा लीटर सरसों का तेल लें और उसमें 50 ग्राम लहसुन डालें। उसके बाद लोहे की कड़ाही में उसे तब तक पकाएं, जब तक की पानी जल न जाए। उसके बाद उसे ठंडा होने दे और ठंडा होने के बाद डिब्बे में छान कर रख लें। इस तेल से आप रोजाना लकवे वाले अंग पर मालिश करें, इससे आपको फायदा मिलेगा। करेला पैरालिसिस में करेला बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में मरीज को करेले की सब्जी या करेले का जूस का सेवन करना चाहिए। यह आपके शरीर के प्रभावित अंगों में सुधार करता है। यह जरूर ध्यान रखें की इस घरेलू उपाय को रोजाना करना होगा, इससे आपको जल्दी आराम मिल सकता है।

तुलसी और दही का मिश्रण

जैसा की सभी लोग जानते हैं कि तुलसी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होती है। लकवा में आप तुलसी के पत्ते, दही और सेंधा नमक को बराबर मात्रा में मिलाएं और एक तरह का लेप तैयार करें इसके बाद उस लेप को आप लकवा ग्रसित अंग पर लगाएं और मालिश करें। ऐसा करने से आपको लकवा में बहुत आराम मिलेगा।

काली मिर्चः लकवा में काली मिर्च के भी बहुत फायदे हैं। ऐसे में आप एक चम्मच काली मिर्च पीसकर रख लें और उसमें तीन चम्मच देसी घी मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाने के बाद लेप तैयार कर लें और इस लेप को लकवा वाले अंग पर लगाएं। इससे प्रभावित अंगों में सुधार होगा।

होम्योपैथी में उपचार

डा. वी.के. वर्मा बताते हैं कि होम्योपैथी में लकवा का सफल इलाज है। एकोनाइट, कास्टिकम, लाइकोपोडियम, लैकेसिस, कालीफास, मैगफास, बेलाडोना, जेल्सीमियम, कोनियम, साइलेसिया, आदि दवायें लक्षणानुसार चिकित्सक की देखरेख में ली जा सकती हैं। सबसे खास बात ये है कि मरीज के लिये पहला घण्टा, पहला दिन और पहला हफ्ता उपचार के लिये सबसे उपयुक्त होता है।

सारांश

लकवा एक घातक बीमारी है, इस स्थिति में शरीर के एक हिस्से की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती है जब व्यक्ति के मस्तिष्क में अचानक से खून की आपूर्ति रुक जाती है या ब्लड कोशिकाएं फट जाती है और आसपास रक्तश्राव होने लगता है तो लकवा हो सकता है। लकवा शरीर के एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में हो सकता है यानी शरीर के एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है। लकवा के लक्षण मांसपेशियों में कमजोरी, मुंह से लार आना, सिर दर्द, सोचने-समझने की क्षमता में कमी इत्यादि होते हैं। इसके कारण में रीढ की हड्डी में चोट या नुकसान, पोलियो, स्ट्रोक, ट्रामा (आघात) इत्यादि हो सकते हैं।

इक्सपर्ट परिचय

डा. वी.के. वर्मा, जिला अस्पताल बस्ती में तैनात आयुष विभाग के नोडल अधिकारी हैं। आपने करीब 35 साल के चिकित्सा अनुभवों के आधार पर लाखों रोगियों का सफल इलाज किया है। इन्होने बस्ती से फैजाबाद मार्ग पर पटेल एस.एम.एच. हॉस्पिटल एवं पैरामेडिकल कालेज, बसुआपार में डा. वी.के. वर्मा इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस सहित कई विद्यालयों की स्थापना की है। खास बात ये है कि इनके अस्पताल में दवाओं के अतिरिक्त रोगियों से कोई चार्ज नही लिया जाता। दवाओं के भुगतान में भी डा. वर्मा गरीबों, पत्रकारों, साहित्यकारों की मदद किया करते हैं। इनकी सेवाओं या परामर्श के लिये इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है। मो.न. 9415163328

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