झूम रही है मन की डाली -डॉ वी के वर्मा

नाग पंचमी का त्योहार।
छाई चहुदिश खुशी अपार।
बनते भांति भांति पकवान।
खुश है बालक, वृद्ध, जवान।
खेतों में छाई हरियाली।
झूम रही है मन की डाली।
बहन और भाई का प्यार।
नाग पंचमी का त्यौहार।
नाग दूध पीकर है हर्षित।
करते सुख की मणियां अर्पित।
धरा पहन कर चूनर धानी।
करती है नभ की अगुवानी।
मन में उठते नेक विचार।
नाग पंचमी का त्योहार।
होती है बरसात प्यार की।
क्या है मतलब जीत हार की।
सब मिल यह त्यौहार मनाते।
झूम झूम कर आल्हा गाते।
इस अवसर पर यही कामना।
आए मन में नेक भावना।
हंसी खुशी यह पर्व मनाये।
सदा प्रेम का रस बरसाये।
’वर्मा’ प्रेम जगत का सार।
नाग पंचमी का त्योहार।
छाई चहुँदिश खुशी अपार।
डा. वी. के. वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती

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