ग़ज़ल
ज़मीन चीज़ है क्या आसमान ले आए।
तेरे दिवाने तो सारा जहान ले आए।।
उन्हें पता है मोहब्बत है आग का दरिया ।
जो प्यार में वो हथेली पे जान ले आए।।
क़रीब दिल के वो आए तो यूं लगा यारों।
सुकूनो चैन की जैसे दुकान ले आए।।
तबाह लाख नगर हो गए सियासत में।
बयानों में तो वो अम्नो अमान लेआए।।
मैं बे कुसूर सज़ा याफ़्ता रहा हर्षित
मेरे ख़िलाफ़ वो झूठे बयान ले आए।।
विनोद उपाध्याय हर्षित