एक खूबसूरत आवाज़ के मालिक, बेहतरीन संचालक और श्रेष्ठ कवि हैं संजय पुरुषार्थी,,,,,
अनुराग लक्ष्य, 26 सितम्बर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
आ गई चलते चलते कहाँ ज़िंदगी
थी जहाँ मेरी मंज़िल वहाँ ज़िंदगी
मेरे हाथों में दे सिर्फ़ मेरा कलम
रखले तू पास तीर ओ कमाँ ज़िंदगी,,,
उपरोक्त चार पंक्तियाँ आज मैंने जिसके सम्मान में कहीं हैं, उस शख्सियत का नाम नहीं है, ,, संजय पुरुषार्थी,, ।
जी हाँ यह बात कर रहे हैं प्रयागराज की धरती से ताल्लुक रखने वाले एक ऐसी शख्सियत की जो पिछले तीन दशक से पर्यावरण की सुरक्षा में अपने को समर्पित करने के साथ साथ एक खूबसूरत आवाज़ के मालिक बेहतरीन संचालक और एक श्रेष्ठ कवि के रूप में देश के अन्य प्रान्तों में भी अपनी कामयाबी और प्रतिभा से साहित्यिक गतिविधियों में शामिल होने के साथ देश में एक बेहतरीन संचालक की भूमिका निभा रहे हैं।
आपको बताते चलें कि संजय पुरुषार्थी एक निर्माता और निर्देशक के भार को लेकर एक से शॉर्ट फिल्मों के साथ अपने अभिनय को भी दर्शकों के बीच काफी पसंद किए जा रहे हैं।
साथ ही अपनी कवि धार्मिता को भी ज़िंदा रखे हुए हैं। मिसाल के तौर पर उनकी कुछ काव्य कृतियों को भी देखा जा सकता है।
/1 किसी से रिश्ता क्या है
यह हमें मालूम हो, ज़रूरी तो नहीं
हाँ उस रिश्ते में कितना अपनापन है
यह महसूस होना बहुत ज़रूरी है ,,,
2/ सलामत रहो तुम और सपने तुम्हारे
न तुम मीत मेरे, न हम हैं तुम्हारे
समय की शिला पर यह अंकित है कबसे
कहाँ मिल सके हैं नदी के किनारे,,,
3/ फूलों की तरह मुस्कुराते रहिए
भौंरों की तरह गुनगुनाते रहिए
चुप रहने से रिश्ते उदास हो जाते हैं
कुछ उनकी सुनिए और कुछ अपनी सुनते रहिए
भूल जाएं शिकवे और शिकायतों को
छोटी छोटी खुशियों के मोती को लूटते रहिए ,,,,
,,,, पेशकश, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,