नेहा की पुस्तक “Decoding the Gita Within You” का किया विमोचन

मुक्त कंठ साहित्य सृजन मंच भिलाई छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित भव्य काव्य गोष्ठी में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब नेहा जी की पुस्तक “Decoding the Gita Within You” का विमोचन किया गया।

इस विमोचन की सबसे विशेष बात यह रही कि यह पुण्य अवसर उनके पिता तुल्य पापा जी (ससुर जी) के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ। ऐसे सज्जन पुरुष विरले ही इस युग में देखने को मिलते हैं, जो बहू को बेटी का दर्जा देते हैं और उसके सपनों को साकार करने में संबल बनते हैं। उनका यह कार्य समाज के लिए प्रेरणा का दीपक है।

 

पुस्तक केवल विमोचित ही नहीं हुई, बल्कि पापा जी द्वारा निःशुल्क वितरित भी की गई – यह इस बात का प्रतीक है कि साहित्य का असली उद्देश्य लोकोपकार है, न कि मात्र स्वार्थ।

 

नेहा जी जैसी बहुएँ इस युग में बहुत कम देखने को मिलती हैं – जो बच्चों का लालन-पालन करते हुए भी परिवार का मान-सम्मान बढ़ाती हैं और साहित्य साधना से समाज को नई दिशा देती हैं। उनकी साधना, उनकी लेखनी और उनके जीवन मूल्य इस बात का प्रमाण हैं कि आधुनिक युग में भी भक्ति, कर्तव्य और रचनात्मकता एक साथ पल्लवित हो सकती है।

नेहा जी और उनके पापा जी( डॉक्टर हिमांशु राय वार्ष्णेय) रहे, दोनों ही आज की काव्य गोष्ठी में आदर्श उदाहरण बने – जहाँ साहित्य और संस्कार, दोनों का समन्वय देखने को मिला।