बरसात और पाचनः कनेक्शन समझें
बरसात का मौसम जितना सुखद लगता है, उतना ही शरीर के भीतर समस्याएँ पैदा करने वाला होता है। खासकर पेट से जुड़ी बीमारियाँ जैसे बार-बार दस्त लगना, गैस बनना, आंतों में जलन, और संक्रमण जैसी स्थितियाँ बहुत सामान्य हो जाती हैं। इसका मुख्य कारण है नमी, ठंडक और बैक्टीरिया का ज़ोर से पनपना जिससे पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है।
पेट में इन्फेक्शन के कारण
1. अधपका या सड़ा-गला खाना
2. बासी या खुले में रखा भोजन
3. गंदा पानी पीना या खुले में बिकने वाले पेय लेना
4. गर्मी के बाद अचानक ठंडे वातावरण में पाचन अग्नि मंद पड़ जाना
5. गुड बैक्टीरिया का कम होना और हानिकारक बैक्टीरिया का बढ़ना
गुड बैक्टीरिया क्या हैं और क्यों ज़रूरी हैं?
गुड बैक्टीरिया वे लाभकारी सूक्ष्मजीव होते हैं जो हमारी आंतों में रहते हैं और:
. भोजन के पाचन में सहायता करते हैं
. संक्रमण से रक्षा करते हैं
. प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करते हैं
. शरीर में आवश्यक विटामिन्स (जैसे B12, K) बनाते हैं
. आंतों की लाइनिंग को स्वस्थ रखते हैं
गृह उपचार – दस्त, इन्फेक्शन और गुड बैक्टीरिया के लिए
छाछ में भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक
छाछ में थोड़ा भुना जीरा, पुदीना और सेंधा नमक डालें।
यह पेट को शांत करता है और प्रोबायोटिक का कार्य करता है।
सौंफ और मिश्री का चूर्ण
एक चम्मच सौंफ+ एक मिश्री पाउडर भोजन के बाद लें।
गैस और जलन में राहत साथ ही माउथ फ्रेशनर भी।
इसबगोल+ दही
एक चम्मच इसबगोल को ताजे दही में मिलाकर खाएं।
दस्त में ठोसता लाता है और आंतों को आराम देता है।
वेल का मुरब्बा या वेल शरबत
बेल पाचन को दुरुस्त करता है और आंतों की सूजन को कम करता है।
इसमें प्राकृतिक प्रोबायोटिक गुण होते हैं। अदरक और शहद का मिश्रण
½ चम्मच अदरक का रस + 1 चम्मच शहद
सुबह खाली पेट लेने से पाचन अग्नि बढ़ती है और इन्फेक्शन घटता है
आयुर्वेदिक काढ़ाः
सामग्रीः
½ चम्मच अजवाइन
½ चम्मच सौंठ
5 तुलसी के पत्ते
1 छोटी इलायची
2 कप पानी
खाएँ:
हल्की खिचड़ी
मुनक्का पानी
मूँग की दाल
उबली सब्जियाँ
ताजा दही या छाछ
तुलसी युक्त गर्म पानी
विधिः
सभी सामग्री को पानी में उबालें जब तक वह 1 कप रह जाए। इसे गुनगुना पीएँ दिन में 2 बार।
इससे गैस, दस्त और पेट दर्द में राहत मिलती है।
गुड बैक्टीरिया बढ़ाने के घरेलू उपाय
1. ताजा दही रोज़ खाएँ (घर का बना)
2. छाछ में सेंधा नमक व अजवाइन डालें
3. किण्वित (fermented) खाद्य जैसे इडली, ढोकला, कांजी पीएँ
4. मीठा आमला मुरब्बा या त्रिफला चूर्ण रात्रि में लें
5. गुनगुने पानी में नींबू और शहद लें (सुबह खाली पेट)
निष्कर्षः
बरसात में पेट की समस्याएँ आम हैं, लेकिन इन्हें अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। आयुर्वेदिक ज्ञान, संतुलित आहार, और गृह उपचार से ना सिर्फ़ आप इन समस्याओं से बच सकते हैं, बल्कि अपने शरीर के अंदर गुड बैक्टीरिया को भी बढ़ा सकते हैं। यही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।
डा० राजेश कुमार चौधदी कंसलटेन्ट फिजीशियन पटेल एस. एम० एच० चिकित्सा केंद्र मूड घाट बस्ती
मोबाइल नंबर – 9451947271