/ यौम ए आशूरा, दसवीं मुहर्रम पर विशेष / शहादत से जिन्होंने कर दिया गुलज़ार कर्बल को, मुहम्मद के निवासों का वही इस्लाम है मेरा, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,

/ यौम ए आशूरा, दसवीं मुहर्रम पर विशेष /
शहादत से जिन्होंने कर दिया गुलज़ार कर्बल को, मुहम्मद के निवासों का वही इस्लाम है मेरा, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,
अनुराग लक्ष्य, 6 जुलाई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता।
,,,मोमिनों हम भूले क्यों बातिल के सीना ज़ोरों को ,
सो गए क्यों रखके अपनी म्यान में शमशीरों को ,
सर चला नेज़े पे रखकर जो यज़ीदी कौम था
उस यज़ीदी कौम की हस्ती मिटाकर देखिए,
ज़िंदगी अपनी शहीदों में गिना कर देखिए।
इतिहास साक्षी है, त्वारीख गवाह है, कि असत्य पर हमेशा सत्य की जीत हुई है। यही आज से चौदह सौ साल पहले करबला के तपते रेतीले मैदान में भी हुआ था। जहां हक़ और बातिल की जंग में अंततः जीत हक की हुई, और हुसैन रहती दुनिया तक अमर हो गए।
उन्हीं की याद दिलाता है यह मुहर्रम का महीना, हुसैन को अकीदतों और मुहब्बतो से खेराज ए अकीदत पेश करने वाले हुसैनी अपनी नम आंखों से हुसैन की याद में ताज़िया बनाकर अपनी मुहब्बतों का सुबूत पेश करते हैं।
इसके अलावा पहली मुहर्रम से दसवीं मुहर्रम तक मस्जिदों और मोहल्लों में मीलाद ए हुसैन का भी एहतमाम किया जाता है। जिसमें इमाम ए हुसैन की शख्सियत और बुलंद किरदार को बयान किया जाता है।
आज महाराष्ट्र राज्य के तमाम ज़िलों के साथ मुंबई में भी दसवीं मुहर्रम का जुलूस अपनी रवायती अंदाज़ में देखने को मिला।
धरावी, सायन, कुर्ला, गोवंडी, मानखुर्ड, चीता कैंप, शिवाजी नागर, बांद्रा, अंधेरी, जोगेश्वरी, मलाड, गोरेगांव, कांदिवली, बोरीवली, माहिम, दादर, मुहम्मद अली रोड, नागपाडा, एंटॉप हिल, जकारिया रोड़, पर हज़ारों की तादाद में ताजिया दारों ने एक से बढ़कर एक ताज़िए सजाकर करबले की तरफ अपने अपने जुलूस को नारे तकबीर, अल्लाहुअकबर की सदाओं के साथ दिखाई दिए।
शाम होते ही पूरी मुंबई में एक हुजूम उमड़ा और हुसैन के चाहने वालों के सैलाब से सड़कें और मुहल्ले हुसैनी रंग में रंग गए।
शीरनी और शरबत को तकसीम करने वालों की अकीदत और मुहब्बत की जितनी भी तारीफ की जाए , कम है। क्योंकि,
यजीद मर गया कोई नाम नहीं लेता है,
हुसैन आज भी ज़िंदा हैं इस ज़माने मे। और, इस हुसैनी जज़्बे को कुछ इस तरह भी बयान किया जाता है कि,
,,, शहादत से जिन्होंने कर दिया गुलज़ार करबल को
मुहम्मद के नेवासों का वही इस्लाम है मेरा
यज़ीदी मैं नहीं मैं तो हुसैनी हूं जहां वालों
शहादत हो अगर मेरी यही ईनाम है मेरा,,,,
इस अवसर पर धारावी के 90 फीट रोड़ पर पहली मुहर्रम से दसवीं मुहर्रम तक महफिल ए ज़िक्र ए हुसैन का खास एहतमाम किया गया। पुलिस प्रशासन का सहयोग सराहनीय रहा।