🌼 पुनर्जन्म: आत्मा की अमर यात्रा
नमस्कार मित्रों,
आज मैं एक ऐसे विषय पर बात करने जा रही हूँ, जिसे अक्सर भावनाओं से जोड़ा जाता है, लेकिन जिसे हमारे धर्म और अनुभव दोनों गहराई से प्रमाणित करते हैं — और वह है पुनर्जन्म।
क्या कभी आपको किसी अजनबी जगह पर जाकर यह महसूस हुआ है कि आप वहाँ पहले भी आ चुके हैं?
या किसी व्यक्ति से पहली बार मिलकर भी यह लगा हो कि उससे कोई पुराना नाता है?
या फिर आपको किसी चीज़ से बिना कारण बहुत डर लगता हो — जैसे ऊँचाई, पानी या आग से?
तो मित्रों, इन सभी प्रश्नों का उत्तर एक ही हो सकता है — पुनर्जन्म।
हमारे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में यह मान्यता है कि आत्मा नाशवान नहीं होती। शरीर तो नश्वर है, लेकिन आत्मा शाश्वत है। वह अपने कर्मों के अनुसार एक शरीर को त्यागकर दूसरे में प्रवेश करती है।
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं,
*”न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥”*
(गीता 2.20)
इसका अर्थ है — आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है। वह सदा से है और सदा रहेगी।
आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे बहुत छोटी उम्र में ही असाधारण प्रतिभा दिखाते हैं — कोई संगीत में, कोई गणित में, कोई ध्यान या पूजा-पाठ में। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने यह सब पहले से किया हो।
यह भी पुनर्जन्म का ही संकेत हो सकता है। उनके पूर्वजन्म के संस्कार, अनुभव और साधना इस जन्म में उनके साथ आते हैं।
कई लोग ऊँचाई से, पानी से, या बंद जगहों से डरते हैं — बिना किसी वर्तमान जीवन के अनुभव के।
यह डर कभी-कभी उनके पूर्व जन्म के अनुभवों से जुड़ा हो सकता है।
मसलन, कोई व्यक्ति पिछले जन्म में डूबकर मरा हो, तो संभव है कि इस जन्म में उसे पानी से डर लगे।
आज का विज्ञान पुनर्जन्म को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं करता, क्योंकि उसे हर चीज़ का भौतिक प्रमाण चाहिए। लेकिन कई वैज्ञानिकों ने इस पर शोध भी किया है।
डॉ. इयान स्टीवेंसन जैसे वैज्ञानिकों ने सैकड़ों बच्चों के केस स्टडी किए जो अपने “पिछले जन्म” की बातें स्पष्ट रूप से बता सकते थे।
भारत में भी शांति देवी नाम की बच्ची का केस प्रसिद्ध है, जिसने अपने पिछले जन्म के माता-पिता और घर तक की पहचान कर ली थी — और जांच में सब बातें सच निकलीं।
मैं ये नहीं कहती कि विज्ञान गलत है, एक-दूसरे के विरुद्ध हैं।
धर्म आत्मा की खोज करता है, विज्ञान पदार्थ की।
धर्म अनुभूति को आधार मानता है, विज्ञान प्रमाण को।
लेकिन दोनों का लक्ष्य एक ही है — सत्य की खोज।
हम कह सकते हैं कि पुनर्जन्म एक यात्रा है, अंत नहीं
जीवन केवल एक बार नहीं मिलता — आत्मा बार-बार जन्म लेती है, जब तक वह मोक्ष न प्राप्त कर ले।
हमारे संस्कार, कर्म और साधना — यही तय करते हैं कि अगला जन्म कैसा होगा।
इसलिए हमें अच्छे कर्म करने चाहिए, सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए, अपने शास्त्र के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए और आत्मा को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।क्योंकि यह जीवन अंत नहीं, एक अध्याय मात्र है।
“हरि अनंत हरि कथा अनंत”…
“जो सत्य है वही सनातन है “.
हरि बोल
नेहा वार्ष्णेय (लेखिका )
दुर्ग छत्तीसगढ़