प्यारी परी सुप्रीति

प्यारी परी सुप्रीति

गुरुजी के आंगन में छिटकी है रोशनी।

नाम है सुप्रीति मानो कविता बनी।।

ज्ञानदाता के आँगन में खिली है जो कली।

उसके खिलने से ज़िन्दगी हुई है मखमली।।

 

मन्द-मन्द मुस्कान संग मीठी-मीठी बातें।

झिलमिल सितारों वाली खिलखिलाती रातें।।

उसके क़दमों की छुअन में है खुशियों की बहार।

झलके चांद से चेहरे पर समझदारी का संसार।।

 

शब्दों के जादूगर की गोद में जब दिखती है।

खिलखिलाकर खुद एक नई कहानी लिखती है।।

वह गुरु जी का गर्व है और माँ की है दुआ।

उसकी हरकत से जीवन में बरकत हुआ।।

 

प्यारी परी सुप्रीति! तुम हँसती रहो सदा।

मधुर-मधुर मुस्कान पर है कौन नहीं फ़िदा।।

तुम बड़ी होकर जहां में जहां कहीं भी जाना।

माता-पिता का नाम रोशन करके दिखाना।।

अंशवी चौरसिया

कक्षा –10वी

पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय गांगरानी, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।