पावन गायत्री कथा*आचार्य सुरेश जोशी

🌹🌹 *ओ३म्*🌹🌹
*पावन गायत्री कथा*
आर्यावर्त्त साधना सदन पटेल नगर दशहरा बाग बारांबकी के तत्वाधान में चल रही पावन गायत्री कथा के अंतर्गत आज *आध्यात्मिक गायत्री साधना शिविर* के क्रम में आज गायत्री के तृतीय *महाव्याहृति ओ३म् स्व:* का अर्थ बताया गया।
🍁 *ओ३म् स्व:*🍁 गायत्री कथा के *अठारवें दिवस* पर गायत्री मंत्र के *ओ३म् स्व:* की व्याख्या करते हुए बताया कि *परमात्मा आनंद स्वरुप* है।अर्थात परमात्मा कभी भी क्षण मात्र भी दुखी नहीं होता। सुखी व दुखी होना *जीवात्मा का गुण* है ईश्वर का नहीं।श्रीराम,श्रीकृष्ण,भगवान शंकर भी अपने जीवन में *समय-समय पर सुखी-दु:खी* होते रहे हैं।शास्त्रों के इस नियम से ये भी जीवात्मा थे ईश्वर नहीं।हां ये अन्य जीवात्माओं से *अति श्रेष्ठ जीवात्मा,महामानव व महापुरुष* थे।ईश्वर सुख -दु:ख से ऊपर उठकर आनंद स्वरुप है।इसमें हम दो प्रमाण देते हैं।
🪷 प्रथम प्रमाण 🪷
*ओ३म् रसेन तृप्तो न कुतश्चनोन:*
यह प्रमाण अथर्वेद का है इस मंत्र का अर्थ है कि *ईश्वर आनंद से परिपूर्ण है।उसमें किसी भी प्रकार की कमी* नहीं है।
🪷 द्वितीय प्रमाण 🪷
*आनंदमयोऽभ्यासात्*
यह प्रमाण *वेदांत१-१/१२* का है।महर्षि वेदव्यास जी कहते हैं कि ईश्वर में आनंद है इसका अनुभव ध्यान से ही होता है। यहां विशेष बात यह समझने की है कि *ईश्वर के आनंद और संसार के आनंद* में पांच प्रकार का अंतर है।
🪔 *प्रथम अंतर*🪔
*[१]* स़सार के आनंद में तृप्ति नहीं होती
*[१]* ईश्वर के आनंद में तृप्ति हो जाती है।
*🪔द्वितीय अंतर🪔*
*[१]* संसार के आनंद में सुख-दुख मिश्रित होते हैं।
*[२]* ईश्वर का आनंद १००% शुद्ध है।
🪔 *तृतीय अंतर*🪔
*[१]* संसार का आनंद इंद्रियों की शक्ति नष्ट कर देता है।
*[२]* ईश्वर का आनंद शक्तिमान बनाता है।
*🪔चतुर्थ अंतर*🪔
*[१]* संसार के आनंद में छल-कपट रहता है।
*[२]* ईश्वर का आंनद छल कपट रहित है।
*🪔पंचम अंतर*🪔
*[१]* संसार के आंनद मे जन्म मृत्यु चलता रहता है।
*[२]* ईश्वर के आनंद में मोक्ष हो जाता है।
इस प्रकार जिस जीवात्मा को यह अनुभव हो जाए कि *संसार सार रहित* है वह फिर *ईश्वर का आनंद* पाने के लिए गायत्री महामंत्र का ध्यान करता है और शाश्वत आनंद को प्राप्त कर लेता है।
🏵️ *अति-विशेष*🏵️
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🪴 *वैदिक भजन*🪴
मंत्री आर्य समाज ग्रीड़गंज व पुरोहित आर एन गुप्ता,श्रीमती पुष्पा देवी ,श्रीमती संगीता वर्मा व पंडिता रुक्मिणी शास्त्री जी ने वैदिक भजन गाकर ईश्वर भक्ति का रसपान कराया।
*आचार्य सुरेश जोशी*