महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या एक बार फिर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के एक अद्भुत संगम की साक्षी बनी। यहां के प्राचीन और ऐतिहासिक रंग महल में, जहां कभी माता सीता की मुंह दिखाई की रस्म हुई थी और जिसे बाद में कौशल्या जी ने उन्हें उपहार स्वरूप प्रदान किया था, सनातन परंपरा के अनुसार एक भव्य विवाह समारोह आयोजित किया गया।
इस विशेष विवाह समारोह में अमेरिका से आए एक भक्त ने श्री रंग महल सरकार एवं गुरुदेव भगवान के सानिध्य में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के मूल्यों का पालन करते हुए विवाह रचाया। इस आयोजन की विशिष्टता यह रही कि इसमें श्री अयोध्या धाम की प्रतिष्ठित पीठ श्री अशर्फी भवन के श्री जगतगुरु स्वामी श्री धाराचार्य जी महाराज जी ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया। रंग महल का ऐतिहासिक महत्व स्वयं में अद्वितीय है। यह मंदिर माता सीता को समर्पित है, और यहां भगवान श्रीराम के दूल्हा स्वरूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर के संत स्वयं को सीता जी की सखी मानते हैं, जो इस स्थान की आत्मीयता और भक्तिभाव को और भी गहरा करता है। माना जाता है कि जब माता सीता विवाह के पश्चात अयोध्या आईं थीं, तो इसी रंग महल में उनकी मुंह दिखाई की रस्म उनकी सास कौशल्या माता ने संपन्न कराई थी। ऐसे पवित्र और ऐतिहासिक स्थल पर एक विदेशी भक्त का सनातन परंपरा से विवाह करना भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के प्रति उनकी गहरी आस्था का प्रतीक है। इस सुंदर विवाह के अद्भुत आयोजन ने न केवल उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया, बल्कि अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया। यह आयोजन श्री रंग महल की गरिमा और अयोध्या धाम की आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाता है, जो आज भी देश-विदेश के श्रद्धालुओं और भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है।