होली गीत-(फगुआ) नाहीं आये सजनवाँ फागुन में- गीतकार राम जी कनौजिया,,,,


अनुराग लक्ष्य 13 मार्च
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
गीतकार राम जी कनौजिया मुंबई की सरजमीन पर एक ऐसे गीतकार हैं जिनकी झोली में ग़ज़ल गीत के इलावा भोजपुरी साहित्य का खज़ाना छिपा हुआ है। आज होली के शुभ अवसर पर उनके द्वारा रचित एक फगुआ गीत आपके समक्ष लेकर हाज़िर हो रहा हूँ। होली मिलन के इस खास मौके पर इस गीत का आनंद उठाएं।
रस मातल जोबनवाँ,फागुन में, नाहीं आये सजनवाँ फागुन में,
नाहीं आये सजनवाँ……
(1)-सखियाँ खेलैं सब , पिया संग में होली,
बैरी जोबनवाँ, भिगावै मोरि चोली,
नाहीं मानेला मनवाँ, फागुन में, नाहीं आये सजनवाँ फागुन में,
नाहीं आये सजनवाँ…….
(2)-केहूके घायल, बनवलस कजरवा,
केहूक जान, सेफ मारै अनरवा,
पितराजाला मनवाँ, फागुन में, नाहीं आये सजनवाँ फागुन में,
नाहीं आये सजनवाँ…….
(3)-छइलन से कबतक, लड़इबै नजरिया,
रहिया जोहत, बिति जइहैं उमरिया,
रोज छलके नयनवाँ, फागुन में, नाहीं आये सजनवाँ फागुन में,
नाहीं आये सजनवाँ……
(4)-कइके करार, लेइ अइला गवनवाँ,
आ जइबै घरवा हो, चढ़तै फगुनवाँ,
बिसरइलै कहनवाँ, फागुन में, नाहीं आये सजनवाँ फागुन में,
नाहीं आये सजनवाँ……
(5)-बिरही सतावे, फगुनवाँ कै रतिया,
सबके जहर लागे, गोरिया कै बतिया,
मचि जाला तुफनवाँ, फागुन में, नाहीं आये सजनवाँ फागुन में,
नाहीं आये सजनवाँ……
(6)-कहैं समुझाइ, पिया रामजी सवँरिया,
सइयाँ मिलल तोहके, निपटै अनरिया,
नाहीं बनिहैं सगुनवाँ, फागुन में, रंग डाला सजनवाँ फागुन में,
रस माँतल जोबनवाँ, फागुन में,
रंग डाला सजनवाँ, फागुन में,,