वर्षों के पश्चात यह, पावन अवसर आया॥*
डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के मार्गदर्शन में साप्ताहिक आयोजन के तहत समसामयिक विषय “एक तरफ़ महाकुंभ की पावनता और पवित्रता, दूसरी ओर अभद्रता और अफ़वाहों से घिरा महाकुंभ” पर प्रबुद्ध रचनाकारों द्वारा लेखन प्रस्तुत किया गया। मंच संचालिका नीतू रवि गर्ग ‘ने कहा कि महाकुंभ में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं।संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ के अनुसार महाकुंभ भारतीय संस्कृति की अखंडता, सहिष्णुता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। अशोक दोशी दिवाकर का मानना है कि महाकुंभ में स्नान का सही अर्थ आत्मशुद्धि और प्रायश्चित करना है। संगीता चमोली ‘इंदुजा’ के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान और आस्था की डुबकी से मनुष्य का चरित्र निखरता और संवरता है। अनु तोमर ‘अग्रजा’ ने लिखा कि महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने पर जाति, वर्ग और भेदभाव की दीवारें टूट जाती हैं। स्वर्ण लता सोन ‘कोकिला’ ने कहा कि महाकुंभ नागा साधुओं, अघोरियों और संन्यासियों की विविधता को दर्शाता है, जो सनातन धर्म की गहराई का प्रतीक है। डॉ. फूलचंद्र विश्वकर्मा भास्कर ने चिंता जताते हुए कहा कि महाकुंभ की भव्यता से प्रभावित होकर कुछ असामाजिक तत्व इसकी पवित्रता को दूषित कर रहे हैं। मीनाक्षी सुकुमारन ने लिखा कि जहां एक ओर आस्था की शक्ति है, वहीं दूसरी ओर अफवाहों और अभद्रता का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। नंदा बमराडा ‘सलिला’ ने कहा कि हर वर्ग के लोग इस महापर्व में श्रद्धा से भाग लेते हैं और इसे अपने जीवन का सौभाग्य मानते हैं।
प्रजापति श्योनाथ सिंह ‘शिव’ ने कहा कि देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में पुण्य प्राप्ति के लिए डुबकी लगाई। नीरजा शर्मा ‘अवनि’ ने कहा कि महाकुंभ में जहाँ आस्था और विश्वास है, वहीं दूसरी ओर अफवाहें और अभद्रता इसका स्वरूप बिगाड़ने का प्रयास कर रही हैं। वीना टंडन ‘पुष्करा’ ने बताया कि माघ मास में संगम तट पर कल्पवासियों की बसावट इस पर्व की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाती है।
अशोक दोशी दिवाकर की साप्ताहिक समीक्षा घनाक्षरी विधान में न केवल प्रशंसनीय रही, बल्कि सभी रचनाकारों को नई कल्पनाओं की ओर प्रवाहित करने में सफल रही। मंच संरक्षिका एवं अध्यक्षा डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ की लेखन विधाओं जैसे लेख, निबंध, संस्मरण और संवाद में सृजन की चुनौती सभी रचनाकारों की कल्पना को गतिशीलता प्रदान करती है। प्रतियोगिता और प्रतिभागिता के लिए नीरजा शर्मा ‘अवनि’, सुमित जोशी ‘राइटर, जोश’, सुनील भारती और नीतू गर्ग ‘कमलिनी’ ने रचनात्मक पोस्टर, कोलाज और वीडियो बनाए, साथ ही अनुपम प्रशस्ति पत्रों के नवल रूप से रचनाकारों को सम्मान प्रदान किया। कृष्णकांत मिश्रा ‘कमल’ के सहयोग और डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के उद्बोधन ने रचनाकारों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का कार्य किया। यह आयोजन महाकुंभ की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के साथ-साथ समसामयिक समस्याओं पर विचार करने का भी मंच प्रदान करता है।
महाकुम्भ पच्चीस ने, दे दी चोट करारी।
आस्था साठ करोड़ की, मक्कारों पर भारी*
डॉ दवीना अमर ठकराल” देविका”