वक्ता प्रेरणा पुंज, तो श्रोता भगवान के प्रति रहें समर्पित

बस्ती। 21जुलाई इन्द्र-अवध सदन भूअर निरंजनपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस के अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा के कथा व्यास आाचार्य पं. शत्रुघ्न शुक्ल ने कथा के दौरान ध्रुव चरित्र का वर्णन किया। कथा व्यास ने कहा कि नारद शिष्य ध्रुव ने अटल तपस्या से भगवान का मनमोह लिया। जिससे अपना और अपने परिवार का नाम अक्षय कर लिया। भागवत महामात्मय का प्रसंग आगे बढा़ते हुए उन्होंने कहा कि भागवत ही भगवान है। भागवत भगवान का अक्षरावतार है। वक्ता श्रोता के धर्म को विवेचना करते हुए बताया कि वक्ता का चरित्र स्वच्छ होना चाहिए, वहीं श्रोता भगवान के प्रति समर्पित होना चाहिए। वक्ता प्रेरणा का पुंज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान जीव का उद्धार करते हैं। तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में पांडवों के वंशवली का सुन्दर वर्णन किया। व्यास ने अपने व्याख्यान में बताया कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा ही होगा मन, कथा को आगे बढ़ाते हुए युधिष्ठिर के प्रश्न प्रसंग का भी सुंदर वर्णन किया। कथा के दौरान यजमान के रूप में इन्द्रावती, डॉ. सोम्या मिश्रा व डॉ. अरूण उपाध्याय, शैलेश उपाध्याय, शालिनी शामिल रहीं। श्रोता के तौर पर कथा श्रवण के दौरान रामकृष्ण पाण्डेय,आरपी पाठक, पुष्पारानी, गिरजेश, लीला सिंह, नीता उपाध्याय, अक्षरा चौबे, अनंत चतुर्वेदी, राहुल उपाध्याय आदि तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे।

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