हम तेरी मांग सितारों से सजा सकते हैं। विनोद उपाध्याय हर्षित

ग़ज़ल

सोए जज़्बात मोहब्बत के जगा सकते हैं।
बीते लम्हे तेरी यादों के रुला सकते हैं।।

आज की रात सुहानी है तू अब आ भी जा।
हम तेरी मांग सितारों से सजा सकते हैं।।

जिनका रहता है हर इक वक्त नफ़्स पर काबू।
बस वही लोग ही किरदार बचा सकते हैं।।

जिनको आता नहीं कुछ और मोहब्बत के सिवा।
सारी दुनिया को वो ऊंगली पे नचा सकते हैं।।

एक इज़्ज़त है जो जाने से नहीं आती है।
और दौलत तो कई बार कमा सकते हैं।।

इस तरह मन में बसा है वो हमारे हर्षित।
उसको देखे बिना तस्वीर बना सकते हैं।।

विनोद उपाध्याय हर्षित