गुरुवर वंदन है अभिनंदन, उनके चरणन धाम है।
कृपा अगर जो मिल जाए तो, सुखमय सारे काम है।।
मैं तो माटी की थी पुतली, दिए आप आकर हैं।
शरण आपके मैं जो आई, मुझे दिए अब तार हैं।।
पग के धूल मिले हैं मुझको ,शरण तिहारे शाम है
गुरुवर वंदन है अभिनंदन ,उनके चरणन धाम है।।
तमस हटा कर मेरे गुरुवर ,दिए हमें पहचान है।
लिखती हूं मैं छंद विधाये, रहा नहीं अभिमान है।।
साथ हमारे सदा रहे वो, लिए मुझे वो थाम है
गुरुवर वंदन है अभिनंदन, उनके चरणन धाम है।।
दूर करे हैं अवगुण सारे, तोड़े भ्रम के जाल हैं।
ज्ञान बिना हम सारे मानव, रहे सदा कंगाल है।।
मात-पिता अरु मेरे गुरुवर ,करूंँ सदा प्रणाम है
गुरुवर वंदन है अभिनंदन, उनके चरणन धाम है।।
अंजना सिन्हा “सखी ”
रायगढ़