नई दोहा

1-गुरुवर मेरे ईश है, सदा झुकाऊंँ माथ।

तमश मिटाते देखिए, छोड़े कभी न हाथ।।

2-गुरुवर वंदन किजिए, गुरुवर है भगवान।

गुरुवर ही पित मातु हैं,हम उनकी संतान।

3-गुरुवर चरणन में सदा,रहे ईश का धाम।

कृपा अगर उनकी मिले,बन जाए हर काम।।

4-जीवन सुखमय हो सदा, मिलता गुरुवर ज्ञान।

गुरुवर के सानिध्य से ,मिटता है अज्ञान।।

5-गुरुवर ऐसा ज्ञान दे, रहूंँ नहीं मति मंद।

गीत ग़ज़ल मुक्तक लिखूं,और लिखूं मैं छंद।

अंजना सिन्हा “सखी”

रायगढ़

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