बस्ती। काशी विश्वनाथ की नगरी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय वाराणसी में 40 वे अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के महाधिवेशन सेमिनार में परिषद् के क्षेत्रीय सचिव योगाचार्य एवं वरिष्ठ आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के प्रो. डॉ नवीन सिंह ने प्राकृतिक चिकित्सा की मान्यता के लिए के आए हुए प्राकृतिक चिकित्सकों को बताया कि हम सभी को एक साथ मिलकर अवेयरनेस कैंप लगाकर लोगों को इस चिकित्सा के बारे में शोध प्रशिक्षण एवं उपचार के बारे में बताएं किस प्रकार असाध्य एवं गंभीर बीमारियों को योग और प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा बचाया जा सकता है। उनके उद्बोधन पर अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ शंकर कुमार सान्याल उनकी पत्नी डॉ शिखा सान्याल एवं काशी विद्यापीठ के योग प्राकृतिक चिकित्सा के डॉ आर एस डवास, स्वामी शंकरा नंद सरस्वती द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।*
*डॉ नवीन ने बताया कि आज के समय में यह बीमारी हमारे गलत खानपान और गलत रहन-सहन की वजह से हो रहा है जिसमें महिलाएं पहले ग्रसित थी अब तो पुरुष भी इससे ग्रसित होने लगे हैं। इसके असंतुलन से मनुष्य शारीरिक और मानसिक रुप से बीमार हो जाता है। पुरी अंतः स्रावी ग्रंथि प्रणाली असंतुलित हो जाती है। इस बीमारी को ठीक करने के लिए उन्होंने सूर्य नमस्कार ,गर्दन के कुछ व्यायाम, आसन एवं उज्जाई प्राणायाम करने पर विशेष बल दिया। यदि हम उज्जाई प्राणायाम को त्रिबंध के साथ मूलबंध, उड़ियान, जालंधर बंध लगाते हुए करें, तो हम कुछ ही समय में इस बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं। इसी के साथ,सोंठ, काली मिर्च और पीपर जिसको त्रिकुट कहते हैं एक चुटकी शहद के साथ सुबह खाली पेट लेने से भी इस बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं । इस अवसर पर काशी विद्यापीठ का पूरा परिवार , तमाम वक्ता गण एवं देशभर से आए लगभग 300 प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।*