समाज में जागरूकता लाने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर स्वतंत्र लेखन मंच द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया।
स्वतंत्र लेखन मंच अपने पटल पर समय समय पर विभिन्न आयोजन करता रहता है। मई माह में ही 6 से 12 मई तक माँ के विभिन्न रूपों पर लेखन कर “मातृ सप्ताह” का आयोजन कर माँ को समर्पित किया गया। उसी समय शीघ्र ही नया आयोजन लेकर आने की घोषणा की गई थी।
दिनांक 31 मई को प्रत्येक वर्ष “विश्व तंबाकू निषेध दिवस” मनाया जाता है। स्वतंत्र लेखन मंच के संस्थापक डॉ विनोद वर्मा दुर्गेश “मुकुंद” एवं डॉ दवीना अमर ठकराल “देविका” की अध्यक्षता में कार्यकारिणी के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि दिनांक 30 व 31 मई 2024 को पटल पर “विश्व तंबाकू निषेध दिवस” के अवसर पर छंदमुक्त काव्य लेखन के माध्यम से तंबाकू के निषेध के लिए संदेश देने का बीड़ा उठाया जाय। इस आयोजन के संचालन का दायित्व मंच की चिर परिचित कवियत्री श्रीमती नंदा बमराड़ा के द्वारा किया गया।
आयोजन को सार्थकता प्रदान करने के लिये समाज के उत्थान के प्रति 36 जागरूक रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। जिनकी चयनित पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
विजय कुमार कनौजिया- नशा पान से मुक्त रहें,अमूल्य जीवन जानकर।
सुनील कुमार- स्वस्थ फेफड़े खुद छलनी करते, बेमौत तड़पकर तुम मरते कुसुम लता “तरुषी”- धुएं में ज़िंदगी उड़ा रहे, जीवन नहीं स्थाई है।
अनिल राही “प्रभात”- निकल जाएगा दिवाला,बीमारियों से जब पड़ेगा पाला। संतोषी किमोठी वशिष्ठ सहजा- छोड़ नशे को, हो दृढ़ संकल्पी
विद्या शंकर अवस्थी- तन मन धन सर्वस्व गंवाता,जो तंबाकू है खाता
डॉ पूनम सिंह”सारंगी”- घर की पूंजी होती ख़त्म, न कभी बीमारी होती ख़त्म। मंजुला सिन्हा”मेघा”- तंबाकू है बुरा, है ये जानलेवा
स्वर्ण लता “कोकिला”- लुप्त हो रही संस्कृति, बढ़ती नशे की बीमारी
डॉ राम कुमार झा “निकुंज”- कैंसर टीबी का जनक,दुश्मन मनुज समाज
मोहन प्रसाद यादव”साधक”- बीमारियों का जमघट, असह्य होती पीड़ा। जवाहर राव- नशा धीमा ज़हर है, हर लेता है प्राण। रंजना बिनानी”स्वरागिनी”- तम्बाकू निषेध दिवस मनाते हैं, और जागरूकता लाते हैं। अरुण ठाकर”कवित्त”- प्रण और इससे त्यागो, गली गली यह बात समझाते हैं। संजीव भटनागर”सजग”- अच्छी आदत नहीं है जानो, जानलेवा नशा तो ये मानो। होशियार सिंह यादव “बैरागी”- नशे की न पालो बीमारी, कितने चले गए अब तुम्हारी बारी।नीतू रवि गर्ग “कमलिनी”- मिलता क्षणिक सुख इससे, ज़िंदगी भर कष्ट सहते। सुरेश चंद्र जोशी “सहयोगी”- युवाओं को परोसा जाता, कैंसर, दमा, टी बी बीमारी बाँटी जाती।वीना टंडन “पुष्करा”- मेरे देश के नवयुवको, नशे से नाता तोड़ दो।अंजू श्रीवास्तव- स्वयं नशे से दूर रहकर, जागरूक नागरिक वे देश बनाना है। फूल चंद्र विश्वकर्मा “भास्कर”- तम्बाकू सेवन बंद हो आज से ही, यह संदेश फैलाना है।नीरजा शर्मा “अवनि”- सब को मिलकर लेना है प्रण, देश को पहनाएंगे नशा मुक्त वसन।अशोक दोशी “दिवाकर”- विश्व तम्बाकू दिवस, वैश्विक स्वास्थ्य का हैअभियान। सिद्धि डोभाल“सागरिका”- स्वयं माँ-बाप नशा सेवन से रहें दूर, दें बाल जवानी को प्यार भरपूर।सुनील भारती आज़ाद “सौरभ”- तंबाकू को ख़त्म करें और न हो केसरी कोई ज़ुबान।सविता मेहरोत्रा “सुगंधा”- गुटका बिकने दिखने ना पाए, ऐसा कुछ करके दिखला दो।संगीता चमोली “इन्दुजा”- संकल्प करें तंबाकू से बचें और बचाएँ सबकी जान। नीता कपूर- तम्बाकू तिल तिल क्षण क्षण जीवन से ले जाता दूर।नृपेंद्र चतुर्वेदी “सागर”- बीड़ी,सिगरेट तंबाकू, गांजा सब पर ही प्रतिबंध लगाएँ। अनु तोमर “अग्रजा”- बंद हो जब तम्बाकू बनना, तभी होगा विश्व तंबाकू दिवस सार्थक मनाना।अनामिका वैश्य आईना”अनुजा”- नशे से खोखला मनुज नित होता।रश्मि गुप्ता “रिंकी”- तम्बाकू, धूम्रपान से क्यों जीवन में ज़हर घोल रहे हैं।ललित कुमार “भानु”- ख़ुद बीमार पड़ कर, परिवार पर संकट छोड़ जाएंगे।डॉ अनिता राजपाल “वसुंधरा”-संभल है इंसान जी ले जीवन त्याग यह धुआँ।
बिटिया अमित गुप्ता”सुरभि”-आओ जन जन तक संदेश पहुंचा कर विश्व तम्बाकू निषेध दिवस सार्थक कर डालें।
स्वतंत्र लेखन मंच की अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल “देविका”ने
निम्न पंक्तियों से आयोजन का समापन किया-नशा, बुरी आदत या लत, लत किसी भी चीज़ की जब हो जाती है,
नशा बन सिर पर सवार हो जाती है।
अच्छे बुरे की नहीं रहती पहचान,
लेकर ही रहती है उस व्यक्ति की जान।
नशा हो दौलत का या काला व्यापार,
तोड़ता रिश्ते-नाते,बर्बाद होता घर परिवार।
नशा हो नशीली वस्तुओं का,
हरता विवेक, करता सर्वनाश जीवन का।
एक बार जो फँस जाता इस भँवर में,
फिर निकलना है बहुत कठिन इस दलदल से।
नशा हो जाता जब हमेशा जीतने का,
तन,मन, धन सब लुट जाता आख़िर का।
नशा होना चाहिए भक्ति, शक्ति, सीखने का,
समृद्धि, सफलता, जीवन में आगे बढ़ने का।
सद्गुण, सुविचार, सर्वश्रेष्ठ बनने का,
या फिर माँ बाप को गर्व महसूस करवाने का।
मंच की अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल” देविका “ ने सभी रचनाकारों को “सजग कलमकार सम्मान” से सम्मानित करते हुए स्वतंत्र लेखन परिवार के सभी सदस्यों का आभार प्रकट कर सक्रिय व समर्पित कार्यकारिणी के सहयोग से नव सोच से नव सृजन कर नव आयोजन लाने का संकल्प लिया।
डॉ दवीना अमर ठकराल
संयोजिका/संचालिका/अध्यक्षा
स्वतंत्र लेखन मंच