ईश्वरीय वाणी वेद -आचार्य सुरेश जोशी

☎️ *ओ३म्* ☎️
🌻 ईश्वरीय वाणी वेद 🌻
*ओ३म् इन्द्रायाहि तूतुजान उप ब्रह्माणि हरिव: । सुते दधिष्व नश्चन:।।*
।।ऋग्वेद १/३/६।।
🦕 *मंत्र का पदार्थ*🦕
( हरिव: ) जो वेगादिगुणयुक्त ( तूतुजान ) शीघ्र चलने वाला ( इन्द्र ) भौतिक वायु है,वह ( सुते ) प्रत्यक्ष उत्पन्न वाणी के व्यवहार से ( न ) हमारे लिए ( ब्रह्माणि ) वेद के स्त्रोतों को ( आयाहि ) अच्छी प्रकार प्राप्त करता है तथा वह ( न: ) हम लोगों के ( चन: ) अन्नादि व्यवहार को ( दधिष्व ) धारण करता है।
🐢 *मंत्र का भावार्थ*🐢
जो शरीरस्थ प्राण है वह सब क्रिया का निमित्त होकर खाना पीना पकाना ग्रहण करना और त्यागना आदि क्रियाओं से कर्म का कराने तथा शरीर में रुधिर आदि धातुओं के विभागों को जगह-जगह में पहुंचाने वाला है, क्योंकि वही शरीर आदि की पुष्टि और नाश का हेतु है।
🐇 *मंत्र का सार तत्व*🐇
इस मंत्र में शरीर में स्थित प्राण तत्व के महत्व को समझाया गया है। अगर जीवात्मा के मन में कदाचित यह चिंतन आये कि शरीर के अंदर जो भी अन्न का खाना-पीना।मल मूत्र का निष्कासन।सप्त धातुओं का निर्माण कैसे होता है? तो वर्तमान में इसके दो उत्तर हैं!
एक है आधुनिक विज्ञान व आधुनिक चिकित्सा।ये लोग एक एक भाग का गणित बतायेंगे यथा अन्न ग्रसिका नली।पेट।लीवर। फेफड़े।छोटी आंत।बड़ी आता। अमाशय आदि -आदि। यह एक ऐसा सिस्टम है कि आपको किसी विद्यालय में जाकर *भौतिकी, रसायन व प्राणि विज्ञान* की कक्षा में वर्षों लगाने होंगे!
दूसरा उत्तर है *वेद विज्ञान* यहां परमात्मा *प्राण विद्या* की महत्ता को सूत्र रूप में समझा रहे हैं कि शरीर में जो परमात्मा ने जो प्राण का संयोग किया है वही आंतरिक प्रशासन का राजा है।वही प्राण अन्न को पकाता है।पचाता है।सप्त धातुओं को बनाता है।तथा शरीर से विजातीय तत्वों को बाहर करता है। आधुनिक चिकित्सा जो कि अंग्रेजों की देन है *उसमें प्राण विद्या का कोई अध्ययन ही नहीं है न ही कोई उसका अध्याय ही है* इसी लिए वहां अंतिम जटिल रोग हेतु *डेलिशियस* व्यवस्था है जबकि वेद विज्ञान कहता है *प्राणायाम करने वाले को कभी भी डेलिशियस* की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए परमात्मा द्वारा दिए इस प्राण विद्या को सबको सीखना व करना चाहिए। जो भी प्राणायाम योग करेगा वो सदा निरोग रहेगा। *सावधान! प्राणायाम किसी योग्य गुरु के निर्देशन भी ही करना चाहिए* अन्यथा लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।इस प्रकार इस मंत्र में परमात्मा ने प्राण विद्या के महत्व पर प्रकाश डाला है।
आचार्य सुरेश जोशी
💐 वैदिक प्रवक्ता 💐

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *