ओ३म्
आज का वेद मंत्र
*ओ३म् उक्थेभिर्जरन्ते त्वामच्छा जरितार:। सुतसोमा अहर्विद:*
ऋग्वेद १/२/२
मंत्र का पदार्थ
वायो
हे अनन्त बलवान ईश्वर! जो जो
अहर्विद:
विज्ञान स्वरूप प्रकाश को प्राप्त होने
सुतसोमा
औषधि आदि पदार्थों के रस को उत्पन्न करने
जरितार:
स्तुति और सत्कार के करने वाले विद्वान लोग हैं, वे
उक्थेभि:
वेदोक्त स्त्रोतों से
त्वाम्
आपको
अच्छ
साक्षात् करने के लिए
जरन्ते
स्तुति करते हैं।
मंत्र का भावार्थ
वेदों में जो पदार्थों की स्तुतियों के लिए स्त्रोत है, उनसे व्यवहार और परमार्थ विद्या की सिद्धि के लिए परमेश्वर और वायु के गुणों का प्रकाश किया गया है।
मंत्र का सार तत्व
वेद मंत्रों तीन तरह से अर्थ किए जाते हैं।एक स्तुति यानि पदार्थों का गुणगान।दो पदार्थों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना। तीन पदार्थों की उपासना अर्थात् कृतज्ञता। इस मंत्र परमेश्वर और वायु के गुणों का गुणगान करके ईश्वर व वायु के गुणों से मुक्ति का उपाय व व्यवहार की सिद्धि का प्रकाश किया है। हमारा लक्ष्य केवल मुक्ति या केवल भौतिक विलासिता न होकर त्याग पूर्वक जीवन जीना होना चाहिए जिससे व्यवहार और परलोक दोनों की प्राप्ति हो सके।
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१६म ई २०२४