केन्द्रीय विद्यालय टेंगा वैली अरुणाचल प्रदेश अर्थात् पूर्वोत्तर भारत की सजीव एवं प्रेरक-यथार्थ कहानी। प्रार्थना के लिए घण्टी बजी। शिक्षकवृंद एवं शिक्षार्थी प्रार्थना सभा में इकट्ठा होने लगे। घाटी में हरियाली। मन में खुशहाली। अरुणाचल में अरुणिमा की तरुनाई। चंचल खबर हवा में लहराई- एक शिक्षिका के कान की बाली विद्यालय में कहीं खो गयी है। सब परेशान। परिस्थिति हैरान। कोई निरेखा उपवन, कोई खेल का मैदान। बेशकीमती हेम हेतु छूत कूड़ेदान। तभी आशा की किरण छिटकी। मौके पर उपस्थित होकर साफ-सफाई वाली दीदी ने मुस्कुराते हुए बोला – “आप लोग परेशान मत होइए। मैं स्टाफ-रूम में झाड़ू लगा रही थी। वहां पर मुझे सोने की बाली मिली। मैंने उसे स्टाफ-रूम में ही अलमारी के ऊपर रख दी है। मैडम! आप जाकर उसे ले लीजिए।”
दीदी की स्वर्णिम ईमानदारी की आभा से अरुणाचल की अरुणिमा में चार चांद लग गया। आज भी हमारे मन के भुवन में पूर्वोत्तर भारत के लोगों के प्रति सम्मान भाव सातवें आसमान पर है।
– सुनील चौरसिया ‘सावन’ शिक्षक, केन्द्रीय विद्यालय संगठन 9044974084