मजदूर दिवस पर हृदयोगार
मजदूरों की बस्ती है।
यहाँ जिन्दगी सस्ती है।
चारो तरफ अंधेरा है।
सुख का नहीं बसेरा है।
कब मजदूर सुखी रहता है।
वह तो सदा दुखी रहता है।
सदा कर्म की पूजा करता।
मगर अभावों में है रहता।
करता खड़ा राज प्रासाद।
पर मन में रहता अवसाद।
श्रम का बीज निरन्तर बोता।
पर उसका शोषण ही होता।
मालिक का जीवन है सुखमय।
मजदूरों का जीवन दुखमय,
फिर भी दिखलाता है करतब।
क्या मजदूर दिवस का मतलब?
कौन है इन पर दया दिखाता।
इनके ऊपर खुशी लुटाता।
आया है मजदूर दिवस
फिर भी ये लाचार बिवश।
डॉ० वी० के० वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी,
जिला चिकित्सालय-बस्ती