ईश्वर हमेशा आनन्द में रहता है- आचार्य सुरेश जोशी

🪷🪷 ओ३म् 🪷🪷
🌲 हरियाणा में वैदिक यज्ञ🌲
आर्य समाज फतेहपुर यमुनानगर हरियाणा में 🌻 द्वि -दिवसीय वेदोपदेश 🌻का कार्य क्रम प्रारंभ हुआ।
🌾 ईश्वर सच्चिदानन्द 🌾
ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप है।इसका साधारण अर्थ है कि ईश्वर हमेशा आनन्द में रहता है। मगर यह शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है।सत् +चित् +आनन्द=सच्चिदानन्द।
🍁 ईश्वर सत् है।🍁
सत् का मतलब है कि ईश्वर की अपनी स्वतंत्र सत्ता है।उसका अस्तित्व है। ईश्वर एक पदार्थ है। वस्तु है। पदार्थ है।चीज है।
जैसे सूर्य,चंद्रमा, पर्वत, पहाड़,नदी, सागर हैं।अगर ये वस्तु हैं तो इनका कोई निर्माता भी तो होगा? कौन है वो? इसका एक ही उत्तर है। ईश्वर।
🍁🍁 ईश्वर चित् है 🍁🍁
ईश्वर चित् अर्थात् चेतन है।चेतन का मतलब है ज्ञानवान। ईश्वर जानता है ब्रह्माण्ड में कब, कहां और कितने जीव हैं? ईश्वर जानता है प्रकृति परमाणु सत्व -रज-तम के परमाणुओं की संख्या कितनी है? ईश्वर सृष्टि उत्पत्ति,पालन व संहार की संपूर्ण धिद्या को जानता है। ईश्वर अपनी समस्त १६ कलाओं को जानता है।इसी लिए ईश्वर चेतन है।
🍁 ईश्वर आनंदस्वरुप है।🍁
ईश्वर के आनन्द व भौतिक आनंद में अंतर है।
[१] भौतिक आनंद क्षणिक होता है।क्षण भर अच्छा लगता है फिर मन ऊब जाता है।
ईश्वर का आनंद शाश्वत होता है। उससे तृप्ति मिलती है। उससे मन कभी ऊबता नहीं है।
[२] भौतिक आनंद चार प्रकार के दुःखों से युक्त है। परिणाम दुःख,ताप दुख, संस्कार दुख, परिणाम व गुणवृत्ति विरोध दुख।
ईश्वर का आनंद १००% शुद्ध है। इसमें दुख लेशमात्र भी नहीं है।
[३] भौतिक आनंद मनुष्य को इंद्रियों का गुलाम बन जाता है।
ईश्वर का आनंद वाला मानव इंद्रियों का राजा बन जाता है।
[४] भौतिक आनंद वाले को बार-बार जन्म लेना पड़ता है।
ईश्वर के आनन्द को पाने वाले संसार बंधन से मुक्त हो जाते हैं।
🌸🌸 वैदिक भजन 🌸🌸
प्रभु के गीत गाने में भला है।
उसे दिल में बसाने में भला है।
पंडिता रुक्मिणी देवी के इस भजन को सुनकर व गाकर लोग भक्ति के वातावरण में डूब गए।

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