श्रीराम का जन्म और कर्म दोनों मंगलकारी

बस्ती ।  20 जनवरी श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ संत सम्मेलन में  व्यासपीठ से श्रीराम कथा का श्री गणेश करते हुये प्रीती पाण्डेय ने कहा कि श्रीराम का जन्म और कर्म दोनों मंगलकारी है, ‘‘ मंगल भवन, अमंगल हारी’’। नर लीला के रूप में श्रीराम चन्द्र जी ने संसार को उपदेश दिया कि किस प्रकार से माता, पिता, पत्नी, भाई के साथ सम्बन्ध का निर्वाह कर अत्याचार का विना सेना के प्रतिरोध किया जाय।
डॉ. अवधेश जी महाराज ने कहा कि  रामचरित मानस में संसार के सभी प्रश्नांेें का हल निहित है। प्रयागराज और नदियों की महिमा का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि श्रीराम कथा से जीवन सुधरता है ।  श्रीराम के बाल चरित का वर्णन करते हुये कहा कि परमात्मा की प्राप्ति के लिये युगो तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। जब-जब संसार में    अधर्म की वृद्धि होती है ईश्वर विविध रूप में अवतार लेकर मनुष्य को सद्मार्ग दिखाते हैं। कहा कि परमात्मा सत्कर्म में सहायक होते हैं। ईश्वर की धर्म मर्यादा का उल्लंघन करने पर भक्ति सफल नहीं हो सकती। परमात्मा स्वयं कहते हैं तप और विद्या अति उत्तम है, उसे यदि विनय, विवेक का सहारा न मिले तो व्यर्थ है। यदि भक्ति शुद्ध है तो ज्ञान और वैराग्य दौड़े-दौड़े आयेंगे।

   मुख्य यजमान  धु्रवचन्द्र पाठक ने विधि विधान से आचार्यों का पूजन किया।  डॉ. मुन्नी लाल शुक्ला , डॉ पवन शुक्ला , रामनिहोर चौधरी , रंजित गिरी,   आदित्य नारायण पाण्डेय, बब्बू तिवारी, अजय पाठक, शुभम् पाठक, रंजना पाठक, अतुल पाण्डेय ,  सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।

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