🪷🪷 ओ३म् 🪷🪷
🌻 प्राण प्रतिष्ठा+धर्म प्रतिष्ठा
🟣🟣 आत्म निवेदन 🟣🟣
इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देंगे ऐसी अभिलाषा है। इस संपूर्ण पोस्ट एक क्रम से है यदि आपने आधी पोस्ट पढ़कर प्रतिक्रिया की तो आप लेखक के मन्तब्य को नहीं समझ पायेंगे।यह लेख किसी भी मत,पंथ व संप्रदाय अथवा किसी राजनीतिक पार्टी के पक्ष/ विपक्ष को ध्यान में रखकर नहीं लिखा जा रहा है। जैंसे श्री राम केवल हिंदुओं के राम नहीं संपूर्ण मानव जाति के लिए प्रेरणा स्रोत हैं उसी तरह हमारा यह लेख भी मानव व मानवता के लिए समर्पित है।यही श्रीराम व सत्य सनातन वैदिक धर्म का वह संदेश है जिस पर चलकर हम भारत को 🧘 विश्व गुरु 🧘 बना सकते हैं।किसी भी व्यक्ति, परिवार, राष्ट्र व समाज के तीन शत्रु होते हैं।💐 अज्ञान 💐 अन्याय 💐 अभाव।
🍁🍁 अज्ञान 🍁🍁
अज्ञान भी तीन प्रकार का होता है। अभावात्मक ज्ञान, मिथ्या ज्ञान व सशंयात्मक ज्ञान। 🌴प्राण प्रतिष्ठा मिथ्या ज्ञान 🌴
मिथ्या ज्ञान का मतलब जड़ को चेतन मानना।जीव को ब्रह्म मानना आदि मिथ्या ज्ञान में आता है।प्राण के संबंध में भी लोगों को सही ज्ञान नहीं है।
🚩 प्राण क्या है??????🚩
प्राण प्रकृति की तरह जड़ पदार्थ है। शरीर,इंद्रिय,मन, बुद्धि जैसे जड़ पदार्थ है वैसे ही प्राण भी एक जड़ पदार्थ है। जैंसे प्रकृति,शरीर, इंद्रिय,मन, बुद्धि,जड़ पदार्थों को परमात्मा ही बना सकता है कोई जादूगर या वैज्ञानिक नहीं बना सकता उसी प्रकार 💡 प्राण💡को भी कोई तांत्रिक, जादूगर, वैज्ञानिक,पंडा, पुजारी नहीं बना सकता?
जब कोई पुजारी प्राण को बना ही नहीं सकता तो वो किसी मूर्ति में प्राण कैंसे डालेगा? जैंसे लोहा, सीमेंट,ईंट, मिट्टी, पत्थर लकड़ी बाजार में बिकती है वैसे प्राण कहीं बिकता नहीं।
इसी का नाम है अज्ञान! इसी अज्ञान के चलते हमने अपना विश्व गुरु की पदवी खोई है। इसी अज्ञान के चलते 🌸 सत्य -सनातन वैदिक धर्म 🌸 समाप्त हुआ और नाना प्रकार के मत,पंथ और संप्रदायों ने जन्म लिया।इस अज्ञान को नष्ट करने का काम विद्वानों का है।ये राजनीतिक व राजनेताओं का विषय ही नहीं है।ये धर्माचार्यों का विषय है। राजनेता धर्माचार्यों से धर्म ज्ञान लेते नहीं और धर्माचार्य धर्म की जगह पर अधर्म का प्रचार -प्रसार कर रहे हैं।इसी कारण आज सारी मानव जाति सत्य सनातन वैदिक धर्म से विमुख हो कर 🌻 आस्था, विश्वास 🌻की दुहाई के नाम पर अपनी -अपनी ढपली बजा रहे हैं।
🍁🍁 अन्याय 🍁🍁
दूसरा शत्रु है अन्याय। लेकिन इसका संबंध अज्ञान से ही जुड़ा है।इसी अज्ञान के चलते महाभारत काल के बाद विदेशी विचार धारा भारत में आई उन्होंने हमारी 🧘 शिक्षा🧘 संस्कृति 🧘 सभ्यता पर ⚔️ शस्त्र और शास्त्र 📙 दोनों से प्रहार किया। हमारे गुरुकुलों को ध्वस्त किया। विद्वानों को मारा। साहित्य जलाया।एक हजार वर्ष तक भारतीय संस्कृति को गुलाम बनाया।यह सब हमारे साथ अन्याय हुआ।
आज ईश्वर की कृपा से भारतीय जागे हैं उन्होंने 🌼धर्म 🌼 नीति 🌼 आंदोलन 🌼 व कानून के द्वारा विजय श्री प्राप्त की और त्रेतायुग के महानायक 🏹मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 🏹 की जन्म भूमि को अपना सनातन विरासत के रुप में पाया है। संपूर्ण भारत ही नहीं विश्व में जहां भी 🪷 सत्य सनातन वैदिक धर्म 🪷 के अनुयाई हैं उनकी दिब्य दृष्टि अयोध्या पर टिकी हैं और २२जनवरी को एतिहासिक दिन बनाने का स्वप्न साकार करने की ओर अग्रसर है।
यद्यपि हमने ईश कृपा से अन्याय पर उत्कृष्ट विजय पाई है।अपने पूर्वजों की भूमि को सुरक्षित कर लिया है मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमने ऊपर जिस 🦌अज्ञान 🦌 की चर्चा की है उससे हमारा पिंड नहीं छूटा है। यदि हमने इस समस्या का समाधान नहीं खोजा तो भविष्य अभी भी अंधकारमय है।
🍁🍁 अभाव 🍁🍁
अज्ञान, अन्याय के साथ हमारा तीसरा शत्रु है अभाव। इसकी ओर हमारी सरकारों का ध्यान अभी भी नहीं जा रहा है। सड़कों का निर्माण, पुलों का निर्माण, कल-कारखाने निम्न स्तर की अभाव पूर्ति है उसी में राष्ट्र की विपुल सम्पत्ति जा रही है।हमारी शिक्षा नीति आज भी संतोषजनक नहीं है।
राजा,मंत्री,वैद्य, न्यायाधीश व नौकर, चपरासी,सेवक सबके बच्चों के लिए एक शिक्षा नीति के साथ एक ही भवन होना चाहिए। सवर्ण व अवर्ण व्यवस्था सनातन धर्म के लिए अभिशाप है। आरक्षण भयंकर विष है। योग्यता को सम्मान व जातिवाद का अंत ही रामराज्य है। यदि इस दिशा में भारत नहीं गया तो सैंकड़ों राम मंदिर वा श्रीकृष्ण मंदिर बना लें सनातन संस्कृति उभर नहीं पायेगी।शिक्षा का स्तर ऐसा हो कि विद्यालय से निकल कर सार्टिफिकेट लेकर विद्यार्थी को नौकरी के लिए निवेदन न करना पड़े। नौकरी वाली शिक्षा अंग्रजों की देन है। दीक्षांत समारोह का मतलब है हर तरह से योग्य विद्यार्थी व परिपूर्ण नागरिक।आज भी देश में 🌴 चरित्रहीनता, भ्रष्टाचार, धर्मांतरण 🌴 प्रच्छन्न रूप में चल रहा है।इस अभाव को दूर करने के लिए अंग्रेजों की 🦚पार्लियामेंट व्यवस्था 🦚 व्यवस्था को समाप्त कर 🧘 महर्षि मनु की दंड नीति 🧘 लागू करनी होगी। रामराज्य में मनु की ही दंड व्यवस्था से श्रीराम ने रावण के आतंक को नष्ट किया था।
🔵🔵 धर्म प्रतिष्ठा 🔵🔵
श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा की संस्कृति को नहीं मानते थे। उन्होंने धर्म की प्रतिष्ठा की है। 🏵️प्राण प्रतिष्ठा 🏵️ परमात्मा का विषय है।🏵️ धर्म प्रतिष्ठा 🏵️ जीवात्मा का विषय है। श्रीराम जी ने रावण के प्राणों को नष्ट किया धर्म को नहीं। धर्म श्रीराम व लंकेश दोनों का एक ही था🚩 सत्य सनातन वैदिक धर्म 🚩 जिन वेदों को श्रीराम जी ने महर्षि वशिष्ठ व महर्षि विश्वामित्र जी से पढ़ा था उन्हीं वेदों को लंकेश रावण ने महर्षि पुलस्त्य व महर्षि विश्श्रवा से पढ़ा था। यज्ञ -संध्या श्रीराम भी करते थे और रावण भी करता था।
फिर क्यों वध किया क्षत्रिय कुल भूषण श्रीराम जी ने ब्राह्मण कुल भूषण 🌻 लोकनायक रावण🌻का। क्योंकि रावण ने वैदिक धर्म प्रतिष्ठा को कलंकित कर दिया था। वेद मंत्रों के अर्थ उलट -पुलट कर रख दिये थे।अपने अलग शास्त्र बना दिए थे। वेदपाठियों व वेदज्ञ ऋषियों का वध करने लगा था।
आज भी लोग यही कर रहे हैं। हनुमान चालीसा व रामायण की चौपाइयों से यज्ञ करना वेद-विरुद्ध कार्य है। वैदिक धर्म के विपरीत आचरण करने पर श्रीराम जी ने लंकेश की 🌸 प्राण प्रतिष्ठा 🌸 न करके उसका प्राणांत करके लंका में 🍁 धर्म प्रतिष्ठा की।
🌳 २२जनवरी धर्म प्रतिष्ठा 🌳
अतः आओ! मैं सत्य सनातन वैदिक धर्म के अनुयायियों व💐 सबके राम💐 के वंशजों का आह्वान करता हूं।पांच सौ वर्षों के अनगिनत बलिदानों से जिन राम लला को हम अयोध्या में प्रतिस्थापित करना चाहते हैं वो हमेशा अवध में विराजमान रहें उसके लिए अपने परिवार के हर सदस्य से पांच संकल्प करायें।
[१]प्रातः काल उठकर कर ईश्वर की संध्या करें।
यह में नहीं कह रहा हूं। महर्षि बाल्मीकि कह रहे हैं।
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कौशल्या सुप्रजा राम पूर्वा संध्या प्रवर्तते।
उत्तिष्ठ नर शार्दूल कर्तब्यं दैवमाहिकम्।।
अयोध्या काण्ड सर्ग२३
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[२] प्रतिदिन यज्ञ करें।
मैं नहीं महर्षि बाल्मीकि जी कह रहे हैं।
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जब भरत व श्रीराम जी का चित्र कूट में मिलन हुआ तब श्रीराम जी ने भरत से पूछा?
कच्चिदग्निषु ते युक्तों विधिज्ञो मतिमनृज:।
हुतं च होष्यमाणं च काले वेदयतो सदा ।। अयो०सर्ग१०८/१२
अर्थात्।हे भरत!क्या अग्निहोत्र को स्मरण कराने वाले व कराने के लिए विद्वान पुरोहित को नियुक्त किया है? यहां यज्ञ का प्रश्न श्री राम कह रहे हैं न कि मूर्ति पूजा की।
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[३] अपने माता की सेवा करें।
मैं नहीं महर्षि बाल्मीकि कह रहे हैं।
तात काचिच्च कौशल्या, सुमित्रा च प्रजावती।
सुखिनी कच्चिद्यार्या च देवी नन्दति कैकेई।।अयो०/१००
अर्थात् हे भाई माता कौशल्या, सुमित्रा, आर्य माता कैकेई सुख से तो हैं? ऐसा नहीं पूछता है जो माता का भक्त होता है।आश्चर्य देखिए महर्षि बाल्मीकि कितने दूर -दृष्टा थे उन्होंने लिखा है कि श्रीराम जी माता कैकेई को आर्या कहते थे।
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[४] अपने पिता की सेवा करें।
मैं नहीं महर्षि बाल्मीकि जी कह रहे हैं।श्रीराम अपनी पिता भक्ति की प्रमाणिकता कोप भवन में अपनी माता कैकेई को देते हुए कहते हैं।
अहं हि बचनाद राज्ञ:पतेयमपि पावके।
भक्षयेयं विषं तीक्ष्णं पतेयमपि चार्णवे।।
तदव्रूहि वचनं देवि राज्ञो यदभिकांक्षितम्।
करिष्ये प्रतिजाने च रामो द्विर्नाभिभाषते।। अयो०१८/२८/३०
हे माते! मैं अपने पिता के लिए समुद्र में छलांग लगा सकता हूं।आग में कूद सकता हूं।हलाहल विष पी सकता है।राम कभी दो बातें नहीं करता। अतः बताओ माता कि पिता की क्या आज्ञा है?
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[५] यदि आप श्री राम भक्त बनना चाहते हैं तो वेद पढ़े और पढ़ायें।पढ़ नहीं सकते तो सुनें और सुनायें। श्रीराम 📙 वेद📙 पढ़ते हैं आप श्रीराम की तरह वेद पढ़ें।मैं नहीं कह रहा हूं महर्षि बाल्मीकि कह रहे हैं।
यजुर्वेदे विनीशच वेदविद्भि;सुपूजित:।
धनुर्वेदे च वेदे च वेदांगेषु च निष्ठित:।।
अर्थात् श्री राम यजुर्वेद में दक्ष, वैदिक विद्वानों में पूज्य धनुर्वेद एवं वेदांगों में दक्ष हैं।
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🌹 महर्षि बाल्मीकि कौन? 🌹
महर्षि बाल्मीकि त्रेतायुग के 📗 व्यास एवं इतिहासकार 📗 हैं। तुलसीदास जी तो कलियुग में हुए और उन्होंने काब्य ग्रंथ श्री रामचरितमानस लिखा।तथा प्रारंभ में ही लिखा कि 🌴 स्वान्त:सुखाय 🌴 लिख रहा हूं।
महर्षि बाल्मीकि रामायण प्रामाणिक इतिहास है जिसने बाल्मीकि रामायण नहीं पढ़ी वो कभी भी भगवान श्रीराम जी के चरित्र व इतिहास को जान ही नहीं सकते।
🏹 यही है धर्म प्रतिष्ठा 🏹
यदि हम चाहते हैं कि श्रीराम और अयोध्या का इतिहास अक्षुण्ण बना रहे तो हर श्रीराम भक्त को इन पांच संकल्पों द्वारा 🦌 धर्म प्रतिष्ठा 🦌 की स्थापना करनी हो होगी। यदि आपने ये कर लिया तब आपको पंडित द्वारा अयोध्या में 🧘 प्राण प्रतिष्ठा 🧘की आवश्यकता नहीं रहेगी क्योंकि तब स्वयं परमात्मा आपके घर में श्रीराम जैसे महापुरुषों को लाने के लिए आपके घर की माताओं के गर्भ में ही 🌻 प्राण प्रतिष्ठा 🌻 कर देंगे। क्योंकि 🍁 प्राण प्रतिष्ठा 🍁 कोई पंडित, मौलवी,पादरी, फकीर,ज्ञानी, नहीं केवल निराकार ईश्वर ही कर सकते हैं।तब हर घर में श्रीराम पैदा होंगे और हर घर ही 🪷 अयोध्या बन जायेगी।तब हम कह सकेंगे 🏹 सबके राम 🏹
🌸🌸 विनम्र प्रार्थना 🌸🌸
[१] यदि आपने इस लेख को ध्यान पूर्वक १००% अध्ययन,मनन, चिंतन कर लिया है तो आप अपने विचार व सुझाव मुझे दे सकते हैं।
[२] यदि आप चाहें तो 🚩 मानव व मानवता 🚩 के हित में इस लेख को महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री, विभिन्न शंकराचार्यों,समाजसुधारकों को भेज सकते हैं।हो सकता है आपके इस काम से हमारा लक्ष्य कभी पूरा हो जाए। हमारे लक्ष्य क्या है?यह प्रारंभ ही में लिखा जा चुका है कि मानवता के तीन शत्रु 🟣 अज्ञान 🟣 अन्याय 🟣 अभाव नष्ट हो।हम ईश्वर का कार्य प्राण प्रतिष्ठा न करके मानव का कार्य 🪷 धर्म प्रतिष्ठा 🪷 करने में सफल हो सकें। भगवान श्रीराम जी ने अयोध्या से लंका तक के सफर में 🌸 धर्म प्रतिष्ठा 🌸 ही किया।
आचार्य सुरेश जोशी
वैदिक प्रवक्ता
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उत्तर प्रदेश।।