ग़ज़ल
कोई पूजा कोई अज़ान में है।
हर बशर मस्त इक जहान में है।।
मेरे हक़ में किसी को वक़्त कहाँ।
सारी दुनिया नई उड़ान मे है।।
बढ़ रही देश में है महंगाई ।
रहबरे मुल्क बस बयान में है।।
याद करती रहेगी दुनिया हमें ।
जब तलक शम्स आसमान में है।।
हौसला उसका आजमाऊ क्या ।
वक्त से पहले जो ढलान में है।।
नींद आएगी अब भला कैसे।
वो मुसलसल हमारे ध्यान में है।
सबको जाना है ऐक दिन हर्षित।
फिर भी इंसाबहुत गुमान में है।।
विनोद उपाध्याय हर्षित