🛑 🛑 ओ३म् 🛑 🛑
🌾 नवरात्रि आठवां दिन 🌾
🟤 कौन है? आठवीं देवी!🟤
ईश्वर की महती अनुकंपा से आज हमने नवरात्रि व्रत कथा में 🏇सात देवियों🏇 का यथार्थ वर्णन देखा और पौराणिकों की मनगढ़ंत देवियों की लीला भी देखा।आशा है आपको सही व गलत की पहचान हुई होगी।आज आठवीं देवी शक्ति का वर्णन करते हैं।
🧘🧘🧘 नारी 🧘🧘🧘
जी हां देवी का आठवां रूप है 💃 नारी 💃। नृ या नर से एक प्रत्यय करने पर नारी शब्द बनता है।[नर]दो अक्षरों से बनता है जिसमें एक भी मात्रा नहीं है।नारी में न 🤱 र दोनों में मात्रा है अर्थात् नारी नर से दुगनी शक्ति व जिम्मेदारी को वहन करती है।इतना ही नहीं देवी की यह आठवीं शक्ति नारी तीनों कालों में विद्यमान रहती है। परिवार के बुजुर्गो की सेवा से नारी🥣भूत काल 🥣पति की सेवा से 🥣वर्तमान काल 🥣 और संतानों को संस्कारित करने से 🥣भविष्यत काल🥣 में नारी विद्यमान रहती है।
नारी कहां रहे? तो उत्तर दिया
यह 🌻 आठवीं देवी शक्ति 🌻नारी तीन ही जगह रहती है। यदि चौथे स्थान पर रहेगी तो 🪷अपयश🪷 को प्राप्त होती है।वो तीन स्थान इस प्रकार हैं।
(१) कौमार्य अवस्था में पिता के पास रहती है।
(२)युवा अवस्था में पति के साथ रहती है।
(३) वृद्धावस्था बच्चों के यश को चमकाती है।
शास्त्रों में कहा है 🌴नयनीति नारी 🌴 अर्थात् जो घर🍁 राष्ट्र🍁 समाज 🍁का नेतृत्व करे वो नारी है। जिनके हृदय में नारी के प्रति इतनी उदात्त भावना हो उन्हीं का व्रत सफल है , केवल भूखे रहने वालों का या नकली मूर्ति की धूप-दीप आदि पदार्थ डालकर पूजा करने वालों का नहीं।
🤱 नारी व उसका संबंध 🤱
नारी यदि बहन है तो प्यार का दर्पण है।
नारी यदि पत्नी है तो खुद का समर्पण है।।
नारी यदि भाभी है तो भावना का भंडार है।
नारी मामी,मौसी,बुआ तो स्नेह की सत्कार है।।
नारी यदि साथी है तो सुख की सतत संभावना है।
नारी यदि 🤱 मां 🤱 है तो साक्षात् परमात्मा है।।
🕰️इति अष्टमोSध्याय : 🕰️
आचार्य सुरेश जोशी
🪷 एवं 🪷
पंडिता रुक्मिणी जोशी
वैदिक भजनोपदेशिका
आर्यावर्त साधना सदन
दशहरा बाग बाराबंकी