बस्ती । हिन्दी दिवस के अवसर पर गुरूवार को वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा के संयोजन में आई.टी.आई. मुख्य द्वार के निकट वरिष्ठ साहित्यकार 90 वर्षीय भद्रसेन सिंह बंधु का फूल मालाओं के साथ हिन्दी सेवी के रूप में स्वागत किया गया।
इसी कड़ी में हिन्दी दिवस पर हुई संगोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि दुनियां में हिन्दी भाषियों की संख्या लगातार बढ रही है, ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में भी हिन्दी में पुस्तकें आ रही है, यह हिन्दी के लिये शुभ संकेत है। भारत सहित दुनियां के कई विश्वविद्यालयोें मंें हिन्दी पढाई जा रही है। अब इस विकास यात्रा के समक्ष देवनागरी लिपि को सहेजने की बड़ी चुनौती है। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति के अध्यक्ष बी.एन. शुक्ल ने कहा कि हिन्दी रोजी रोटी की भाषा बन चुकी है और जिन्हें हम गरीब मानते हैं ऐसे लोगों ने हिन्दी को दुनियां भर में सहेजे रखा है। 90 वर्षीय भद्रसेन सिंह बंधु ने कहा कि हिन्दी की इस विकास यात्रा के पीछे अनेक लोगों का जो योगदान है उसे सहेजे रखना होगा।
गोष्ठी के बाद आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ. राम नरेश सिंह मंजुल, डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ पं. चन्द्रबली मिश्र, डा. अफजल हुसेन अफजल, डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ अनवर हुसेन ‘पारसा’ डा. ओम प्रकाश पाण्डेय, बी.के. मिश्र, सागर गोरखपुरी, पेशकार मिश्र, जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक’ आदि ने कविताओं के माध्यम से हिन्दी की विकास यात्रा को रेखांकित किया। मुख्य रूप से रामदत्त जोशी, दीनानाथ यादव, गणेश प्रसाद, कृष्णचन्द्र पाण्डेय, राकेश सिंह आदि शामिल रहे।
इसी कड़ी में हिन्दी दिवस पर हुई संगोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि दुनियां में हिन्दी भाषियों की संख्या लगातार बढ रही है, ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में भी हिन्दी में पुस्तकें आ रही है, यह हिन्दी के लिये शुभ संकेत है। भारत सहित दुनियां के कई विश्वविद्यालयोें मंें हिन्दी पढाई जा रही है। अब इस विकास यात्रा के समक्ष देवनागरी लिपि को सहेजने की बड़ी चुनौती है। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति के अध्यक्ष बी.एन. शुक्ल ने कहा कि हिन्दी रोजी रोटी की भाषा बन चुकी है और जिन्हें हम गरीब मानते हैं ऐसे लोगों ने हिन्दी को दुनियां भर में सहेजे रखा है। 90 वर्षीय भद्रसेन सिंह बंधु ने कहा कि हिन्दी की इस विकास यात्रा के पीछे अनेक लोगों का जो योगदान है उसे सहेजे रखना होगा।
गोष्ठी के बाद आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ. राम नरेश सिंह मंजुल, डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ पं. चन्द्रबली मिश्र, डा. अफजल हुसेन अफजल, डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ अनवर हुसेन ‘पारसा’ डा. ओम प्रकाश पाण्डेय, बी.के. मिश्र, सागर गोरखपुरी, पेशकार मिश्र, जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक’ आदि ने कविताओं के माध्यम से हिन्दी की विकास यात्रा को रेखांकित किया। मुख्य रूप से रामदत्त जोशी, दीनानाथ यादव, गणेश प्रसाद, कृष्णचन्द्र पाण्डेय, राकेश सिंह आदि शामिल रहे।
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