ब्रेस्टफीडिंग एक मां और बच्चे का प्राकृतिक जुड़ाव है

 

 

ब्रेस्टफीडिंग एक मां और बच्चे का प्राकृतिक जुड़ाव है। ब्रेस्टफीडिंग करवाना बच्चे और मां दोनों के सेहत के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। लेकिन कई कई बार ऐसा होता है कि बच्चा ब्रेस्टफीडिंग नहीं करता है, यह एक सामान्य स्थिति है जिसका कई कारण हो सकते हैं।

आशा आयुर्वेदा स्थित डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि बच्चे के ब्रेस्टफीडिंग से मना करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे
अभी तक आपका बच्चा ब्रेस्टफीडिंग का सहीं तरीका नही समझ पाया है। वैसे तो यह एक प्राकृतिक प्राक्रिया है लेकिन माताओं और बच्चों को धीरे धीरे सीखना होता है।
कभी कभी बच्चा आवाज की शोरगुल के कारण दुध नहीं पीता।
कुछ मां बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के साथ बोतल से भी दुध पीलाती है, जब बच्चे का पेट बोतल से दुध पीकर भर जाता है इसलिए वे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी यही अपेक्षा करने लगते हैं। और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रुचि नहीं रखते है।
कभी-कभी बच्चे थके हुए होते है, जिसके कारण वह ब्रेस्टफीडिंग के लिए ताकत नहीं जुटा पाता, इसलिए मना कर देते हैं।
कई बार कान में संक्रमण होने या किसी तकलीफ के कारण बच्चा दुध नहीं पी पाता है।
ऐसा भी हो सकता है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपका दूध तेज प्रवाह से आ रहा हो जिसके कारण आपका बच्चा दूध पीने में तकलीफ महसूस कर रहा हो।
कई बार ऐसा भी होता है कि दुध की कमी होने के कारण बच्चा अपनी भूख शांत नहीं कर पाता जिससे चिड़चिड़ा होकर ब्रेस्टफीडिंग से मना कर देता है।

“डॉक्टर से मिलकर, आप अपने बच्चे की सेहत और विकास की दिशा में आवश्यक सुझाव और उपाय प्रदान कर सकते हैं, जिससे बच्चे को सही पोषण और देखभाल प्राप्त हो सके। इसलिए, बच्चे के ब्रेस्टफीडिंग में समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है ताकि सही और समय पर उपाय आपके बच्चे के स्वास्थ्य को बनाए रख सके।”

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