हिन्दी हिन्द की रानी
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है।
अपभ्रंश रूप में जन्म लिया,
यह संतों की अमृत वानी है॥१
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
सबको देती गर परिभाषा,
तो जन – जन की यह वानी है।
सूरों की शौर्य गीत गाथा,
राही की अथक कहानी है॥२
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
हर हारे मन को संबल देती,
तो यह प्यासे मन का पानी है।
नदियों में कल – कल करती,
झरनों की सतत रवानी है॥३
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
विकल जायसी का गर मन,
तो तुलसी की अप्रतिम वानी है।
यह सूर के मन मंदिर में है,
तो गूँगी आँखों का पानी है॥४
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
यह मीरा वीणा में झंकृत,
तो भाषाओं की पटरानी है।
यह कृष्ण भाव हर द्वार पढ़े,
तो राम की अमर कहानी है॥५
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
यह भाव से भूषित भाषा,
तो बच्चों की तोतली वानी है।
है जन-२ को प्रमुदित करती,
यह गंगा सा निर्मल पानी है॥६
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
यह कृष्ण के धुन वंशी में है,
तो ग्वालों की अल्हड़ वानी है।
यह यशुदा की तड़पन में है,
तो राधा की प्रेम कहानी है॥७
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
ये उर्मिल का वियोग कहती,
तो सीता की करुण कहानी है।
जो जन-मन में रचती बसती,
वह कबिरा की अमृत वानी है॥८
उद्भव जिसका संस्कृत से,
वह माँ हिन्दी हिन्द की रानी है॥
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
बाल कृष्ण मिश्र कृष्ण
कनेथू बुजुर्ग ज़िला बस्ती
१४.०९.२०२३