अनुराग लक्ष्य, 12 सितंबर ।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुंबई संवाददाता ।
टीबी जैसी गंभीर बीमारी की दवा इधर कुछ महीनों से सरकारी दवाखाना और मेडिकल स्टोर से बिलकुल छू मंतर हो चुकी है।
टीबी के मरीजों का बुरा हाल है। रोगी डॉक्टर का पर्चा लिए इधर उधर दवाखान के चक्कर लगाकर आजिज़ आ चुके हैं। ऊपर से सितम यह कि यह दवा इतनी मंहगी है कि मरीज़ किसी तरह इस दवा को अगर खरीदने की हिम्मत जुटाता भी था, तो अब नई मुसीबत सामने यह कि यह दवा कहीं उपलब्ध नहीं है, न ही सरकारी दवाखना में और न ही मेडिकल की दुकानों पर, जिससे टीबी के मरीजों में काफी रोष है।इस दवा के एक पत्ते की कीमत पांच सौ से सात सौ रुपए तक आती है।
इस बारे में जब अनुराग लक्ष्य संवाददाता ने खोज बीन शुरू की तो अजीब बातें सामने आईं।
एक परतिष्ठित मेडिकल स्टोर हर्षिणी मेडिकल स्टोर के प्रोपराइटर मिस्टर मार्टिन से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने बेखौफ होकर यह कहा कि यह सिर्फ दवाओं का गोरख धंधा है, और क्या हो सकता है। हम लोगों को भी स्टाकिस्ट से दवा नहीं मिल पा रही है तो कैसे हम इस दवा को मुहैया कराएं।
इसी क्रम में अगरबत्ती वेवसायी इम्तियाज़ शेख अपनी बेटी की टीबी की दवा केलिए काफी परेशान हैं। उन्हें यह दवा कहीं नहीं मिल रही है। कहते हैं कि यह दवा टीबी के मरीजों के लिए इतनी इंपोर्टेंट है जिसके बगैर मरीज़ की हालत बिगड़ सकती है।
इसी क्रम में डॉक्टर अमित कुमार श्रीवास्तव से भी निराशाजनक उत्तर ही मिला। कहते हैं कि अचानक टीवी जैसी गंभीर दवा का बिलकुल गायब हो जाना, यह दुखद पहलू है उन मरीजों लिए जो इस दवा का सेवन हमेशा करते हैं।
इस समाचार को लिखने का आशय कोई ईर्ष्या या द्वेष नहीं है, बल्कि सिर्फ इतना है कि शासन और प्रशासन का ध्यान इस तरफ जाए। जिससे टीबी के मरीजों का बेहतर इलाज हो सके ।