बस्ती जनपद की महान कवियित्री श्रीमती अर्चना श्रीवास्तवा जी के सम्मान में शिक्षक राम सजन यादव की कविता,,,,
अनुराग लक्ष्य, 26 दिसंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
इंसानी ज़िंदगी को खुशगवार बनाने में यकीनन साहित्य का बहुत बड़ा रोल है। शायद इसी लिए जब एक शिक्षक भी कविता के छेत्र में अपनी ज़ोर आजमाइश करता है तो साहित्य के सरोवर में डुबकी लगा ही लेता है ।
खुशी की बात है कि राम सजन यादव जी ने अपनी कविता का केंद्र बिंदु एक ऐसी कवयित्री को बनाया, जो वर्तमान में बस्ती जनपद को अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से सभी को लुभा रही हैं ।
सरयू–कुवानो की लहरों-सी, बहती जिनकी कविता है,
माटी की खुशबू से भीगी, हर पंक्ति अनुपम सरिता है।
नारी के मन की पीड़ा को, ममता बनकर जो कह दे,
अर्चना जी की लेखनी, हर युग में सच का दीप जले।
संवेदना के कोमल स्वर में, साहस का संचार भरे,
टूटे मन को जोड़ सके जो, ऐसे शब्दों का हार धरे।
लोक-संस्कृति, मूल्य-परंपरा, छंदों में सजीव दिखे,
बस्ती जनपद धन्य हुआ, इन रचनाओं से दीप जगे।
न कोई दिखावा, न आडंबर, सादगी इनकी पहचान,
सत्य, प्रेम और करुणा का, हर पंक्ति में पावन गान।
कलम बनी जब साधना, कविता बनी आरती-सी,
मन-मंदिर में गूँज उठे, वाणी इनकी भारती-सी।
हम सब की ओर से सादर, यह सम्मान स्वीकार करें,
शब्द-साधना के इस पथ पर, यश-कीर्ति नित विस्तार करें।
राम सजन गुरु जी की ओर से, सादर यह अभिनंदन,
युग-युग तक अमर रहे, आपकी लेखनी का वंदन।