महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या। श्री शिवधाम काशी जन कल्याण सेवा ट्रस्ट, अयोध्या के तत्वावधान में आयोजित राम कथा के पावन अवसर पर आज एक बार फिर भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई। शिवधाम काशी मंदिर, अयोध्या के पीठाधीश श्री वत्साचार्य जी महाराज (डॉ. अशोक पाण्डेय) ने कथा में ‘सीताराम विवाह’ के दिव्य प्रसंग का गान कर श्रोताओं को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति से सराबोर कर दिया। सीताराम विवाह—धर्म, मर्यादा और प्रेम का अद्वितीय संगम मंदिर प्रांगण में सुसज्जित मंच पर जब महाराज श्री ने मंगलाचरण के उपरांत कथा का आरंभ किया, तो शंखनाद और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि तथा भक्तों के जय श्रीराम” के उद्घोष से पूरा परिसर गूंज उठा। कथा का केंद्रीय विषय “सीताराम विवाह—धर्म, मर्यादा और प्रेम का अद्वितीय संगम था। माधुर्यपूर्ण गान से झूम उठे श्रद्धालु
श्री वत्साचार्य जी महाराज की माधुर्यपूर्ण स्वर-लहरियों में जब जनकपुर नगरी सोहै, बाजत मंगल बधावें का भजन गूंजा, तो उपस्थित जनसमूह भक्ति में भाव-विभोर हो गया। उन्होंने लोकधर्म, परिवार-व्यवस्था और आदर्श जीवन के गूढ़ तत्वों को अत्यंत सरल किंतु प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया।
महाराज श्री ने कहा, “सीता और राम का मिलन केवल एक दैवी विवाह नहीं, बल्कि यह समस्त सृष्टि के पुरुष और प्रकृति के एकत्व का प्रतीक है। जिस क्षण सीता-राम का मिलन होता है, उसी क्षण जगत में समरसता, शांति और प्रेम का संचार होता है। त्याग और मर्यादा का अमर आदर्श कथा के दार्शनिक पक्ष को उजागर करते हुए उन्होंने बताया कि सीताराम विवाह केवल राजकुल का उत्सव नहीं, बल्कि यह आदर्श दांपत्य जीवन का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सीता त्याग, समर्पण और मर्यादा की मूर्ति हैं, वहीं राम सत्य, संयम और धर्म के प्रतीक। महाराज श्री ने आज के युग के संदर्भ में संदेश देते हुए कहा कि जहाँ संबंध स्वार्थ और अपेक्षा पर आधारित हो चले हैं, वहाँ सीताराम विवाह हमें त्याग, समर्पण और सेवा का अमर आदर्श प्रदान करता है। जीवंत झाँकी ने श्रोताओं को पहुँचाया त्रेता युग में कथा के दौरान मंच पर विवाह दृश्य की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की गई। राम-सीता के रूप में सजे कलाकारों ने जनकपुरी और अयोध्या के उत्सव का अद्भुत दृश्य जीवंत कर दिया। पुष्पवर्षा, संगीत और नृत्य की सजीव झलकियों ने श्रोताओं को मानो त्रेता युग में पहुँचा दिया।
जब महाराज श्री ने “ हरे रामा रामा राम सीताराम राम राम ” का संकीर्तन आरंभ किया, तो संपूर्ण सभा भक्ति में नाच उठी। महिलाओं ने आरती की थाल सजाई और सीताराम विवाही” गीतों से वातावरण को पवित्र कर दिया।
त्याग और मर्यादा के बिना प्रेम अधूरा है भक्तों की आँखें नम थीं और हृदय भक्ति से भर उठा था। एक भावुक श्रद्धालु ने कहा कि आज की कथा सुनकर जीवन का अर्थ समझ में आया — त्याग और मर्यादा के बिना प्रेम अधूरा है। समाज के लिए संदेश कथा के अंत में श्री वत्साचार्य जी महाराज ने समाज के लिए संदेश दिया कि “सीताराम विवाह हमें सिखाता है कि जब तक जीवन में धर्म का आधार नहीं होगा, तब तक कोई भी संबंध स्थायी नहीं रह सकता।” उन्होंने कहा कि अयोध्या की इस पावन भूमि पर कथा श्रवण करना स्वयं में एक पुण्य का अवसर है। सामूहिक आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन हुआ। मंदिर परिसर में “सीताराम जय जय सीताराम” के गगनभेदी जयघोष गूंज उठे। आज की रामकथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रेम, मर्यादा और मानवता का उत्सव बन गई, जो भक्तों के हृदय में सदैव अमर रहेगी।